हे मन रामनाम चित धौबे - भीखा साहब
हे मन रामनाम चित धौबे।। काहे इतउत धाइ मरत हव अवसिंक भजन राम से धौबे। गुरु परताप साधु के संगति नाम पदारथ रुचि से खौबे।। सुरति निरति अंतर...
हे मन रामनाम चित धौबे।। काहे इतउत धाइ मरत हव अवसिंक भजन राम से धौबे। गुरु परताप साधु के संगति नाम पदारथ रुचि से खौबे।। सुरति निरति अंतर...
चिथरा पहिर घुसरि पुअरा में देखत सुघर सोनहुल सपना ऊसर बंजर परती धरती सींचि-सींचि लोहू से अपना हम दुनिया के सरग बनवलीं नंदन वन अइस...
रुनुक-झुनुक बाजै पायल तोर पँउआ, बड़ा नीक लागै - ननद तोर गँउआ, बड़ा नीक लागै देवरा निहारै पीपर झरै पाती हमरी उमिरिया फरै दिन-राती गरवा...
पहिला चरण (सवैया):- ध्रुव निश्चित आपन जीति बुझीं अबकी उठि के तनि सामने आईं। हमरा सबके रुख मालुम बा बतिया हमरो सुनि लीं पतियाईं। अवरी...
अध्याय - 8 कुक्कुर केतनो मेहनत कइलसि खेती के हालत ना सुधरला । उलटे भारी मँहगी अकाल दूनूँ आ के एक साथ परल ॥1॥ ज्यादे से ज्यादे पोरसा भर ध...
देखऽ अब का होला ! जवन कब्बो ना करे के तवनो कइलीं जहँवा गइले पाप परेला तहँवो गइलीं जनलस अरोस-परोस जानि गयल टोला देखऽ अब का होला ! ...
अध्याय - 7 एकर दुर्दशा देखि करि के केहु देवी जी के दया भइल। दुख दुबिधा दूर गइल सगरे आ जनम फेरु से नया भइल॥1॥ खेती के पशु के रखवारी कुक्क...
कहीं निरदयी कि बेदरदी कहीं हम भुलक्कड़ कहीं कि अलहदी कहीं हम कि झुट्ठा कि लंपट कि बुद्धू अनाड़ी कि अकड़ू कि अँइठू कि पक्का खेलाड़ी ...
अध्याय - 6 सन बावन से सन तिरसठ तक जब जहाँ जरूरत पड़ल हवे। कुक्कुर हमार ई तब तहवाँ घोघिया घोघिया के लड़ल हवे॥1॥ लेकिन सन चौसठि में एकर...
गोरी के अँगना, फुलै फुलवारी। झलके कपोल गुलाब गुलाबी, काँचे कलिन की उतारी। फुलै फुलवारी। गोरी के आँगना...। अँखिया में बिहँसे नील...
बीति गइल रतिया अन्हरिया, अँजोरिया में घेरले बा बदरी घेरले बा बदरी, घेरले बा बदरी। बीति गइल रतिया अन्हरिया, अँजोरिया में घेरले बा बदरी॥ आवे...
अध्याय - 5 हमनी के कुक्कुर तेज हवे ई राति राति भर जागेला। ई सब को से अझुरा जाला डर एकरा तनिक न लागेला॥1॥ एको पतई जो खरके त ई बहुत अगर्द ...
अध्याय - 4 इसवी अनइस सौ बावन में कुक्कुर दल पहरा पर बइठल। कुकुरन के देखि हुँड़ारन का मन में भारी शंका पइठल॥1॥ हमनी के नीमन तेज कुकुर युग...
अध्याय - 3 दिल्ली में और लखनऊ में हमरो एकहे गो घर बाटे। ऊ छोट मोट ना बा कवनों दूनूँ घरवा लमहर बाटे॥1॥ ओही घर में राखल हमार सब हक पद के ग...
का जरत त्रिविध जड़, धुँआ ना धँधोरी । जे हाथ-गोड़-हाड़ भसम होत तोरी।। खोजत ना आपन विछुड़ल जोरी। सतुआ ना पिसान एको बान्हि के झोरी।। नाहीं एक...
घन बसवरिया बीया पीपर आ बर बा। अइह ए जुम्मन चाचा ओइजे हमार घर बा॥ तलवा तलइया के का करी बड़इया। बहुते नीमन लागे करमी लेड़इया॥ पूछते पुछत चाचा ...
कब लगि सहबे अगिनियाँ के धाहवा, ए सोहागिनि! लछ चौरासी कर धार॥ नइया रे डुबेला ना त अगम अथहवा, ए सोहागिनि! कहिले से कर ना बिचार॥ सतगुरु ज्ञान...
अध्याय - 2 जवना कुक्कुर के नाँव अधिक जनता ओह घरी बतावेले। ओही कुक्कुर का गटई में सींकरि सरकार लगावेले॥1॥ वेतन भत्ता से जकड़ि जकड़ि भेजेल...
अध्याय - 1 कुक्कुर के हवे कहानी ई रउरा शायद पतिआइबि ना । बाकी हमहूँ कहि दे तानीa हम झूठ बात बतिआइबि ना ।। त्रेता युग में एगो कुक्कुर ...
ए हमारे प्रभु तुम गती अलख अती। रोटी पर नुन जुरत नहीं जाको, लाखन बरत बती॥ बड़-बड़ सीध गीध होइ गइलन, अगती पावत गती। अइसन गढ़ कंचन पर लंका, ...