अध्याय - 8
कुक्कुर केतनो मेहनत कइलसि खेती के हालत ना सुधरला ।
उलटे भारी मँहगी अकाल दूनूँ आ के एक साथ परल ॥1॥
ज्यादे से ज्यादे पोरसा भर धरती खनि के जब हलि जाला ।
तब खाजु भेंटा जाला कुक्कुर के काम पेट के चलि जाला ॥2॥
अत: प्रांत में पोरसा भर के लाखन कुवाँ खनाइल ह ।
गोसयाँ लोगन के खाद्य समस्या ना परंतु सुधियाइल ह ॥3॥
गोसयाँ हमार अब का खइहें जब ई चिंता व्यापल विशेष ।
तब उड़त उड़त कुक्कुर आपन पहुँचल जा के जरमनी देश ॥4॥
अवरी केतने दोसरा देशन के लेखा जब बइठवलसि ह ।
तब आ के गोसयाँ लोगन के एक नया उपाय बतवलसि ह ॥5॥
जब कमी अन्न के बाटे तब ई हे उपाय अपनाई जाँ ।
हाथे हाथे ले के कुदार अब मूस मारि के खाईं जाँ ॥6॥
मुर्गी सूवर आ गाइ भँइसि खइला में ज्यादे दाम लगी ।
पर मूस मुवा के खाइला में लागत ना एक छदाम लगी ॥7।।
मूसे में ढ़ेर भिटामिन बा सब डाँक्टर लोग बतावता ।
एपर एगो नीमन सुझाव हमरा बिचार में आवता ॥8॥
आगी पर मूस पकवला से रोवाँ चमड़ा सब जरि जाई ।
तब ओमें जवन भिटामिन बा ओकर कुछ अंश सँपरि जाई ॥9॥
लेकिन बिलकुल ताजा धइ के जे काँचे मूस चबा जाई ।
तब एमें ना कुछ शुबहा बा ऊ सजी भिटामिन पा जाई ॥10॥
कुकुरन के जवन खाजु होला ऊहे ओकरा मन भावत बा ।
अपना गोसयाँ लोगन खातिर बस ऊहे खाजु बतावत बा ॥11॥
सरकारी राशन का दुकान पर ना अनाज अब छूँछ मिली ।
अब साथे साथ अनाजे का कुछ सूवर आ कुछ मूस मिली ।12॥
ई सुझाव ना केहु का भावल जेही सुनल से मुँह बिजुकावल ।
बा केहू खूब ठठा के हँसल बात न केहु का मन में धसल ॥13॥
बकरा अलबत्ते ओह घरी, जमुना पारी आ बरबरी ।
आइलेसन बलाक में किनि के, नसल सुधार भइल बकरिन के ॥14॥
अब भेड़ि बकरिया ना बचिहें रोवें किसान एह कारन से ।
कुक्कुर जे आपन रहे उहो जा के मिलि गइल हुँड़ारन से ॥15॥
कुक्कुरन के जवन बिमारी हS ऊ लकवा एके धइले बा ।
जब तक चलि जा तब तक चलि जा ना त दिन एकर गनइले बा ॥16॥
उलटे भारी मँहगी अकाल दूनूँ आ के एक साथ परल ॥1॥
ज्यादे से ज्यादे पोरसा भर धरती खनि के जब हलि जाला ।
तब खाजु भेंटा जाला कुक्कुर के काम पेट के चलि जाला ॥2॥
अत: प्रांत में पोरसा भर के लाखन कुवाँ खनाइल ह ।
गोसयाँ लोगन के खाद्य समस्या ना परंतु सुधियाइल ह ॥3॥
गोसयाँ हमार अब का खइहें जब ई चिंता व्यापल विशेष ।
तब उड़त उड़त कुक्कुर आपन पहुँचल जा के जरमनी देश ॥4॥
अवरी केतने दोसरा देशन के लेखा जब बइठवलसि ह ।
तब आ के गोसयाँ लोगन के एक नया उपाय बतवलसि ह ॥5॥
जब कमी अन्न के बाटे तब ई हे उपाय अपनाई जाँ ।
हाथे हाथे ले के कुदार अब मूस मारि के खाईं जाँ ॥6॥
मुर्गी सूवर आ गाइ भँइसि खइला में ज्यादे दाम लगी ।
पर मूस मुवा के खाइला में लागत ना एक छदाम लगी ॥7।।
मूसे में ढ़ेर भिटामिन बा सब डाँक्टर लोग बतावता ।
एपर एगो नीमन सुझाव हमरा बिचार में आवता ॥8॥
आगी पर मूस पकवला से रोवाँ चमड़ा सब जरि जाई ।
तब ओमें जवन भिटामिन बा ओकर कुछ अंश सँपरि जाई ॥9॥
लेकिन बिलकुल ताजा धइ के जे काँचे मूस चबा जाई ।
तब एमें ना कुछ शुबहा बा ऊ सजी भिटामिन पा जाई ॥10॥
कुकुरन के जवन खाजु होला ऊहे ओकरा मन भावत बा ।
अपना गोसयाँ लोगन खातिर बस ऊहे खाजु बतावत बा ॥11॥
सरकारी राशन का दुकान पर ना अनाज अब छूँछ मिली ।
अब साथे साथ अनाजे का कुछ सूवर आ कुछ मूस मिली ।12॥
ई सुझाव ना केहु का भावल जेही सुनल से मुँह बिजुकावल ।
बा केहू खूब ठठा के हँसल बात न केहु का मन में धसल ॥13॥
बकरा अलबत्ते ओह घरी, जमुना पारी आ बरबरी ।
आइलेसन बलाक में किनि के, नसल सुधार भइल बकरिन के ॥14॥
अब भेड़ि बकरिया ना बचिहें रोवें किसान एह कारन से ।
कुक्कुर जे आपन रहे उहो जा के मिलि गइल हुँड़ारन से ॥15॥
कुक्कुरन के जवन बिमारी हS ऊ लकवा एके धइले बा ।
जब तक चलि जा तब तक चलि जा ना त दिन एकर गनइले बा ॥16॥
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धरीक्षण मिश्र
अंक - 109 (06 दिसम्बर 2016)
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