पहिला चरण (सवैया):-
ध्रुव निश्चित आपन जीति बुझीं अबकी उठि के तनि सामने आईं।हमरा सबके रुख मालुम बा बतिया हमरो सुनि लीं पतियाईं।
अवरी सब बाद में होत रही परचा पहिले करीं दाखिल जाईं।
सब कार के जिम्मा हमार रही रउरा न मनें तनिको घबड़ाईं।।1।।
हऊ बाड़े खड़ा उनसे न डरीं उनके एहि में हम खेह खियाइब।
उनके जहाँ जाति जियादे बसें उहवा उनके एगो जाति उठाइब।
लरिका कुछ और पियक्कड़ जोरि के साँझ सबेरे जलूस घुमाइब।
सुनवाइब गारी भले उनके आ जमानत जब्त जरूर कराइब।।2।।
दूसरा चरण (कवित्त):-
घेरि घेरि ग्रह के उपग्रह पढ़ावें पाठझण्डा आठ बीस जा के देखी बा हलि गइल।
जेतना विरोधी का प्रचार के प्रभाव रहे
आज एक दौरा में सगरे निकलि गइल।
जहाँ जहाँ जाके जनता के समुझौनी हम
तहाँ तहाँ मानीं कि नकशे बदलि गइल।
अब्बे त नब्बे परसेण्ट तक मानीं आपन
औरी बढ़ि जाई जो ऊहो युक्ति चलि गइल।।3।।
तीसरा चरण (कवित्त):-
कम्बल बा एके तब लेके उहो जाई कहाँलैकन का ओढ़े के घरहीं छोड़ि आइले।
पैदल त हमरा से चलिये ना जात ज्यादे
एसे ढेर दूर ले ना चक्कर लगाइले।
काम और तेजी से करे के हम चाहऽ तानीं
किन्तु ओतना तेजी से करि नाही पाईले।
कोट बा पुरान ओमें सन्न दे बयारि मारे
बानी कमजोर देहि ठण्ड से बचाईले।।4।।
चौथा चरण (कवित्त):-
का बताईं ऐसन जमाना ई खराब बा किकेहुवे में ना धर्म बाटे आ ना ईमान बा।
हमरा से औरे कुछ रउरा से औरे कुछ
कहे के बा ना कुछ जबान के ठेकान बा।
बड़े बड़े लोगन के चीन्हि लेनी एमें हम
कहे के बा आन तऽ करे के किछु आन बा।
एक त चुनाव बिना पेनिये के लोटा हवे
आजे के ना हवे ई कहाउत पुरान बा।।5।।
---------------------------------------
धरीक्षण मिश्र
अंक - 110 (13 दिसम्बर 2016)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें