चिथरा पहिर घुसरि पुअरा में
देखत सुघर सोनहुल सपना
ऊसर बंजर परती धरती
सींचि-सींचि लोहू से अपना
हम दुनिया के सरग बनवलीं
नंदन वन अइसन चमकवलीं
सुधर मखमली सेज सजवलीं
किसिम-किसिम के फूल खिलवलीं -
जूही, चंपा, चटक चमेली
गोर बदन बेइलि अलबेली
गेंद, गुलाब, रात के रानी
केवड़ा के गुन कहाँ बखानी
धरती के ई शोभा सगरे
हउए मेहनति के फल हमरे
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देखत सुघर सोनहुल सपना
ऊसर बंजर परती धरती
सींचि-सींचि लोहू से अपना
हम दुनिया के सरग बनवलीं
नंदन वन अइसन चमकवलीं
सुधर मखमली सेज सजवलीं
किसिम-किसिम के फूल खिलवलीं -
जूही, चंपा, चटक चमेली
गोर बदन बेइलि अलबेली
गेंद, गुलाब, रात के रानी
केवड़ा के गुन कहाँ बखानी
धरती के ई शोभा सगरे
हउए मेहनति के फल हमरे
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लेखक परिचय:-
नाम: स्वामी विमलानन्द सरस्वती
जन्म: 14 जनवरी 1921
जन्म स्थान: मँगराँव, बक्सर, बिहार
रचना: बउधायन, बउछलीला और जिनगी के टेढ़ मेढ़ राह
अंक - 114 (10 जनवरी 2017) जन्म: 14 जनवरी 1921
जन्म स्थान: मँगराँव, बक्सर, बिहार
रचना: बउधायन, बउछलीला और जिनगी के टेढ़ मेढ़ राह
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