माला - सुभाष पाण्डेय
नेता जी सोमार के गाँव में वोट माँगे आवेवाला रहनीं। अतवारे के साँझि के नेता जी के खास पूरन घर-घर फूल के माला बाँटत रहलें। पूरन के गिनती गाँव ...
नेता जी सोमार के गाँव में वोट माँगे आवेवाला रहनीं। अतवारे के साँझि के नेता जी के खास पूरन घर-घर फूल के माला बाँटत रहलें। पूरन के गिनती गाँव ...
अंडा बेचे वाली मनोरमा पहिले अंडा ना बेचत रही. उ एगो घरेलू महिला रही, जे अपना मरद भूलन आ बेटी आरती के साथे खूब बढ़िया से आत्मसम्मान के जिनिगी...
रामजी आउर केहू ना हमरा गाँव में के एगो आदमी के नाम ह। आ ई रामजी केहू के जरताह आंँखीं से कबो ना ताकस। खेतिहर आदमी हवन।बधार के चारों सिवान में...
रामसेवक आ सीताराम एके ऑफिस में काम करत रहे लो। दूनू जाने लइकाईं के संघतिया रहे लोग आ सब तरे बराबर रहे लो। एक दिने सीताराम कहले “भाई रामसेवक,...
गनिया टमटम उडबले चल जात रहे। टमटम ढकर-ढकर करत रहे। ओकर पार्ट-पूजा बुझात रहे कि अलग-अलग हो जाई। सड़कि उभड़-खाभड़ रहे। टमटम पर बइठल डाक्टर मने...
नेता जी भर गर गेना का फूल के माला पहिनले, दुनू हाथ जोरले, मन्द- मन्द मुसुकात आगे- आगे चलत रहनीं। पीछे से कानफारू सुर में नारा लागत रहे। हमार...
इ सन् 1960 के बात ह। तब हम बनारस पढत रहलीं। वो दिन हम अपने कमरा मे पढले मे तल्लीन रहलीं कि तबले हमके बुझाइल कि केहू हमरे लगे आके ठाढ हो गइल ...
जानू दा।पूरा नाम जमालुद्दीन खान।मिलकी पर के जमिंदार।सांझी खा दलान पर जब बैठकी में बइठस त गाँव के हिन्दू मुसलमान सभे जुटत रहे।जुटे काहे ना वे...
कमली कई बरिस बाद आज ससुरा से अपना गाँवे आइल बिया। ओकरा खुशी के ठेकाना नइखे। आवते गाँव-घर घूमे निकल परलि। छोट-बड़ सभकर हाल-चाल पूछत कई घंटा बा...