खेत खरिहानी जाली हाली-हाली खाली - महेन्द्र मिश्र

खेत खरिहानी जाली हाली-हाली खाली
लेके खुरूपी कुदारी झूर कोरेली डँरार के।

झगड़ेली राहे बाटे घरे कुकुराह करे
घरे-घरे घूमे जइसे कुतिया कुवार के।

छिरकेली नटा, पोटा पोंछ गोझनवटा में
कजरा लुआठे, दागे चूल्ही से निकार के।

कहत महेन्द्र इहे लच्छन करकसा के
मुंहे-मुंहे थूर-थूर मारेली भतार के।
----------------------------

लेखक परिचय:-

नाम: महेंद्र मिश्र (महेंदर मिसिर)
जनम: 16 मार्च 1886
मरन: 26 अक्टूबर 1946
जनम स्थान: मिश्रवलिया, छपरा, बिहार
रचना: महेंद्र मंजरी, महेंद्र विनोद, महेंद्र चंद्रिका, 
महेंद्र मंगल, अपूर्व रामायन अउरी गीत रामायन आदि
अंक - 71 (15 मार्च 2016)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.