मउजे मिश्रवलिया जहाँ विप्रन के ठट्ट बसे - महेन्द्र मिश्र

मउजे मिश्रवलिया जहाँ विप्रन के ठट्ट बसे
सुन्दर सोहावन जहाँ बहुते मालिकान है।

गाँव के पश्चिम में बिराजे गंगाधर नाथ
सुख के सरूप ब्रह्मरूप के निधाना है।

गाँव के उत्तर से दक्खिन ले सघन बाँस
पुरूब बहे नारा जहाँ काहीं का सिवाना है।

द्विज महेन्द्र रामदास पुर के ना छोड़ों आस
सुख-दुख सभ सहकार के समय को बिताना है।
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लेखक परिचय:-
नाम: महेंद्र मिश्र (महेंदर मिसिर)
जनम: 16 मार्च 1886
मरन: 26 अक्टूबर 1946
जनम स्थान: मिश्रवलिया, छपरा, बिहार
रचना: महेंद्र मंजरी, महेंद्र विनोद, महेंद्र चंद्रिका,
महेंद्र मंगल, अपूर्व रामायन अउरी गीत रामायन आदि

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