हमहूं त रहली जलके मछरिया
जालवा फंसवल ए माधो
माधो धई देलऽ तलफी भुंभुरिया
कि जियते जरवल ए माधो।
हमहूं रहलीं भोरी रे चि
इया
र
खोतवा उजरल ए माधो
माधो डहकीं ले अब दिन रात
बिरहिनिया बनवल ए माधो।
हमहूँ त रहली अबला अनारी
पिरीतिया लगवल ए माधो
माधो भागि गइल अंगुरी छोड़ाई
कि नइया डूबवल ए माधो।
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