अंक के रचनाकार अउरी रचना (मैना: वर्ष - 5 अंक - 115)
काव्य
- काँची अमिया न तुरिहऽ - विद्यानिवास मिश्र
- जोम भरल दिन आइल रे - रामवृक्ष राय 'विधुर'
- भोर - रामेश्वर सिंह 'कश्यप'
- सोनवाँ लुटावे दिनमान - रामवचन शास्त्री 'अंजोर'
- दउर सुरू हो जाला - अवधेन्द्रदेव नारायण
- देखत मौत के अब लजाइल का बानी - नागेन्द्र प्रसाद सिंह
- हम रोज निहारीला रहिया - अम्बिकादत्त त्रिपाठी 'व्यास'
- राजा कुंअर सिंह - भुवनेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव ‘भानु’
- घट गइल बा - मिर्जा खोंच
- देखल यथार्थ - महामाया प्रसाद 'विनोद'
- पनिहारिन के मेला - बैद्यनाथ पाण्डेय 'कोमल'
- किसानों की होली
- राष्ट्रीय-बिरहा - मन्न
कहानी
अनुवाद
मैना: वर्ष - 5 अंक - 115 (27 मार्च 2018)
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