आज रऊआँ सभ के सोझा मैना कऽ बीसवाँ अंक परस्तुत बा। बहुते निक लागता कि ए अंक में दस गो रचना बाड़ी जेवना में से कुछ काब्य तऽ कुछ गद्रय चना बाड़ी सऽ। कबिता, गज़ल, लेख, छिंउकी आज औरी बीतल काल्ह सभ बा ए अंक में। ई अंक रऊआँ सभ खाती परस्तुत बा।
- प्रभुनाथ उपाध्याय
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सेमर फुलाये
फर लागे
ठोरियावऽ सुगना
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छितिर-बितिर पानी
तराइल ऊँट
बेंग, का ताकेलऽ?!
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राज भरपूर बा
नॉव मसहूर बा
काहे तू उदास पोखर
काहे मजबूर बा?
तोहके बन्हावल केहू, तोहके सॅवारल केहू
हियरा क सुन्नर सपना, तोहके उरेहल केहू।
‘सरगे क सीढ़ी सोझे’ सोचि के बनावल केहू
औरी पढ़े खाती>>>>>
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भगवान राम के गुण टीवी आ किताबन तकले रह गईल बा
डाo उमेशजी ओझा
डाo उमेशजी ओझा
कहल जाला कि हमनी के देश भारत परबऽन के देश हऽ। एहिजा रोज परब तेवहार होत रहेला। भारतीय संस्कृति के दुनिया भर में महत दिहल जाला। एही धरती प भगवान विष्णु असुरऽन के संहार करे खातिर राम के रूप में अवतार लिहले। आपन जीवन में मर्यादा के पालन करत पुरुषो में उत्तम पुरुषोत्तम कहलईले।
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सुरमा आँखी में नाहीं ई तू छुलावत बाटऽ।
बाढ दूतर्फी बिछूआ पै चढ़ावत बाटऽ।।
अत्तर देही में नाहीं तू ई लगावत बाटऽ।।
जहर के पानी में तेरुआर बुझावत बाटऽ।।
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आदमी से आदमी अझुराइल बा।
सभे एक दोसरा से डेराइल बा॥
मिल्लत बेमउआर आज के दिन।
सभका मगज में भँग घोराइल बा॥
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नाजाएज गठजोड़ - गुलरेज़ शहज़ाद
राजनीति बिया गाभिन भईल।
नाजाएज जनमऊती के अब
जाएज एगो नाम धराई।
परसूती के पहिले के बा
गजब तमासा।
राजनीति बिया गाभिन भईल।
नाजाएज जनमऊती के अब
जाएज एगो नाम धराई।
परसूती के पहिले के बा
गजब तमासा।
-------------------------------------------------------------------------------------हमरा बलमु जी के बड़ी-बड़ी अँखिया से
भिखारी ठाकुर
हमरा बलमु जी के बड़ी-बड़ी अँखिया से,
चोखे-चोखे बाड़े नयना कोर रे बटोहिया।
ओठवा त बाड़े जइसे कतरल पनवा से,
नकिया सुगनवा के ठोर रे बटोहिया।
भिखारी ठाकुर
हमरा बलमु जी के बड़ी-बड़ी अँखिया से,
चोखे-चोखे बाड़े नयना कोर रे बटोहिया।
ओठवा त बाड़े जइसे कतरल पनवा से,
नकिया सुगनवा के ठोर रे बटोहिया।
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अंजोरिया - रामविचार पाण्डेय
टिसुना जागलि अपना कृस्न जी के देखे के त,
अधी रतिये खाँ उठि चलली गुजरिया।
चान का निअर मुँह चमकेला रधिका के,
चम-चम चमकेले जरी के चुनरिया।
अंजोरिया - रामविचार पाण्डेय
टिसुना जागलि अपना कृस्न जी के देखे के त,
अधी रतिये खाँ उठि चलली गुजरिया।
चान का निअर मुँह चमकेला रधिका के,
चम-चम चमकेले जरी के चुनरिया।
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औरी पढ़े खाती>>>>>
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(24 मार्च 2015)
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