
माला - सुभाष पाण्डेय
नेता जी सोमार के गाँव में वोट माँगे आवेवाला रहनीं। अतवारे के साँझि के नेता जी के खास पूरन घर-घर फूल के माला बाँटत रहलें। पूरन के गिनती गाँव ...
नेता जी सोमार के गाँव में वोट माँगे आवेवाला रहनीं। अतवारे के साँझि के नेता जी के खास पूरन घर-घर फूल के माला बाँटत रहलें। पूरन के गिनती गाँव ...
जीव के हत्या हमरा गाँव के दखिन सिवान के महंगू अहीर के डेरा के २० लठ्ठा दूर एगो बाबाजी लोग के गाँव बा महुवारी । ओह गाँव में बड़ा धार्मिक बिचार...
एक त गरमी के दिन आ दोसरे में गाड़ी में बड़ा सकसा सकसी रहे। केहू उतरे त केहू के धकिया के चढ़े । आ केहू केहू चढ़बो करे त केहू के बरियारी धकि...
"चाची, जब हम बिस्कुटओ किनऽ के खात रहीं तऽ तूँ छकुनी ले के धा गइलु कि पइसा चोरा के खाता, अब दिसो करे आइल बानी तऽ ऊपर से छकुनी देखावतऽ ...
माई आ बाबूजी के लमहर जिनगी के लमहर अनुभूति रहे। अशोक जब घर से नौकरी करे खातिर पहिला दिन चलल रहन त दुनों परानी बहुत समुझवलस कि बबुआ नौकरी म...