
का हमके कुक्कूर कटले बा - जगदीश खेतान
इ सन् 1960 के बात ह। तब हम बनारस पढत रहलीं। वो दिन हम अपने कमरा मे पढले मे तल्लीन रहलीं कि तबले हमके बुझाइल कि केहू हमरे लगे आके ठाढ हो गइल ...
इ सन् 1960 के बात ह। तब हम बनारस पढत रहलीं। वो दिन हम अपने कमरा मे पढले मे तल्लीन रहलीं कि तबले हमके बुझाइल कि केहू हमरे लगे आके ठाढ हो गइल ...
1. बह जाये दीं ई लोर वे धो देई मन के मैल। (बह जाने दें ये आँसू ही धोते हैं मन के मैल।) ------------- 2. आवऽ तूरेला ...
प्रकाश चाही? प्रकाश बा कहाँ? दीया लेसे के होखे त विरहानल से लेस लऽ बुताइल दीया राख के का होई? इहे लिखल रलऽ भाग में? एह से त मरन अच...
हम येगो आन्हर मंगन हईं जे आपन पेट जियावे खातीर इलाहाबाद के गलियन और बजारन मे भीख मांग के अपने परिवार के कइसो-कइसो जिआइलां। ई धंधा ठीक ना ह...
गिद्ध.........!!!!!!! ई तस्वीर याद बा नूँ रउवा सभ के ? एकरा के नाम दीहल गईल रहे -'द वल्चर एंड द लिटिल गर्ल '। एह तस्वीर ...
विपदा से हमरा के विपदा से हमरा के हरदम बचाव ऽ हरि ई ना बाटे मिनती हमार जब जहाँ विपदा से सामना जे होखे प्रभु हम नाही होईं भयभीत निड...
दलित विचार का बारे में राजनीतिक सोच जतने व्यावहारिक, साफ आ मकसद वाला लउकेला, साहित्यिक सोच ओतने अझुराह, भकुआइल, ठहरल आ भेड़चाल वाला बा. अ...
उमेश जी कऽ ई कहानी 'एक चटकन कऽ दाम' उँहे कऽ हिन्दी कऽ एगो कहानी 'एक तमाचे की कीमत' क अनुबाद हऽ जेवन जुलाई 2014 के राष्ट्र...