1.
बह जाये दीं
ई लोर वे धो देई
मन के मैल।
(बह जाने दें
ये आँसू ही धोते हैं
मन के मैल।)
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2.
आवऽ तूरेला
रुढ़ियन के आकाश
फइले लागल।
(आओ तोड़ने
रुढ़ियों का आकाश
लगा फैलने।)
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3.
दुल्हा बनलीं
आ हमार इयाद
बनली दुल्हन।
(दुल्हा बना हूँ
और स्मृतियाँ मेरी
बनी दूल्हन।)
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4.
झरल मोती
मुस्का रहल मेघ
सावन आइल।
(झरी मोतियाँ
मुस्का रहा बादल
सावन आया।)
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5.
बता द तू
शान्ति खोजत बानी
कहाँ भेंटाई?
(बता दो तुम
शान्ति ढूँढ रहा हूँ
कहाँ मिलेगी?)
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6.
हमार पीर
ना बेध सकेल
ई अभेद्य वा।
(पीड़ाएँ मेरी
भेद पाओगे नहीं
ये हैं अभेद्य।)
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7.
ज्ञान के सुरुज
अज्ञान के अन्हार
दूर करेला।
(ज्ञान का सूर्य
अज्ञान का अंधेरा
करता दूर।)
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8.
व्यवस्था ढाँचा
ढलल ना दिल
टूटे लागल।
(व्यवस्था साँचा
ढल न पाया उर
टूटने लगा।)
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अनुवादक : सूर्यदेव पाठक "पराग"
मैना: वर्ष - 7 अंक - 117 (जनवरी - मार्च 2020)
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