आसरा के दीयरी - डा. गोरख प्रसाद मस्ताना

आधी आधी रतिया के अइतऽ
नेहिया के दीयरी जरइतऽ
दुखवा हमार पतीअइतऽ, हो मीतवा
मीतवा हमार हो, हमार हो मीतवा

मनवा हमार बसे तोहरी चरन में
हमरा के राखऽ पीया हिया के सरन में
छानी नेह छोह के छवइतऽ
अखियाँ मे हमके बसइतऽ,
टूटल सपनवा सजइतऽ, हो मीतवा
मीतवा हमार हो, हमार हो मीतवा

रहिया निहारत में आँँख पथराइल
तोहरे इयादे मोरा मन अगुराइल
तोख तनी आई के बन्हइतऽ
हियावा के अगिया बुतइतऽ
अझुराइल मन सझुरइतऽ, हो मीतवा
मीतवा हमार हो, हमार हो मीतवा।

लोर के सिपाही से लिखत बानी पतिया
रोई गाई दिन काटी, कटे नाहीं रतिया
पाती पढ़ी टिकट कटइतऽ
घरवा के राहे सोझीरइतऽ
उचके अॅगनवा में अइत हो मीतवा
मीतवा हमार हो, हमार हो मीतवा।

विरहा के रसरी में केतन बन्हाई
फँसरी लगा के मन करे मरी जाई
आके तनी हमके बचइतऽ
गीतीया पीरितीया के गइतऽ
जीये भर हम करे जीयइतऽ, हो मीतवा
मीतवा हमार हो, हमार हो मीतवा।

कगवो थकल बाटे सुगन उचारत
हम हारीं असरा के दीअरी के बारत
भोर होते आके मूसकइतऽ
आँखि होके हिया में समइतऽ
सुखल विरीछ हरिअइतऽ, हो मीतवा
मीतवा हमार हो, हमार हो मीतवा।
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लेखक़ परिचय:-
नाम: डा. गोरख प्रसाद मस्ताना
जनम स्थान: बेतिया, बिहार
जनम दिन: 1 फरवरी 1954
शिक्षा: एम ए (त्रय), पी एच डी
किताब: जिनगी पहाड़ हो गईल (काव्य संग्रह), एकलव्य (खण्ड काव्य),
लगाव (लघुकथा संग्रह) औरी अंजुरी में अंजोर (गीत संग्रह)
संपर्क: काव्यांगन, पुरानी गुदरी महावीर चौक, बेतिया, बिहार

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