तीत मीठ - डा. गोरख प्रसाद मस्ताना

केहू से हम तीत मीठ बतीयाई काहे
बिना कान से सुनले किछु पतियाई काहे

झूठ साँच के खेल हवे आगी जइसन
बेमतलब के आपन हाथ जराई काहे

के, बा जे नीकन चाहेला दोसरा के
अनका कहले केहू से अझूराई काहे

मदद करे के बेरिया कुछुउ सोचनीं ना
लउटा दीह, बा सबुर धतियाई काहे

लउकत बा कि बईमानी के धन बा आगू
रसबे ना जब कटी त उ हथियाई काहे

जे हमरा निमना बउरा में साथे बा
हम उनकर एकसान भला बिसराई काहे

बात ठीक, ना सकलीं दू दिल जोरे में
बुता न पवनी त, झगरा सुनगाइंर् काहें
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लेखक़ परिचय:-
नाम: डा. गोरख प्रसाद मस्ताना
जनम स्थान: बेतिया, बिहार
जनम दिन: 1 फरवरी 1954
शिक्षा: एम ए (त्रय), पी एच डी
किताब: जिनगी पहाड़ हो गईल (काव्य संग्रह), एकलव्य (खण्ड काव्य),
लगाव (लघुकथा संग्रह) औरी अंजुरी में अंजोर (गीत संग्रह)
संपर्क: काव्यांगन, पुरानी गुदरी महावीर चौक, बेतिया, बिहार

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