अरूण शीतांश जी के दू गो कबिता रऊआँ सभ खाती। पहिलकी कबिता गाँव-देहात में सहे वाला के दरद देखावत बा जेकर जिनगी करजा, भूखि औरी परेसानी में गुजरत बा। खेती बरबाद हो गईल बा औरी उ हार-थाक के झरिया जाए चाहता जेसे कि पेट जेवना के पापी कहल जाला भरि सके। आज के किसानन के इसे हाल बा ऊ ना चाहि भी देस दुआर छोड़े खाती मजबूर हो जाला। दूसरकी कबिता एगो गरीब के घर-दुआर छोड़ के परदेस में भईल दुरदसा देखावत बा। दुनू कबिता एक संगे पढ़ला पर लागी कि एगही कबिता पढ़ल जाता खाली परिस्थिति बदलि गईल बा।
उधारी भइल अब दुपहरिया,
ए करिया भाई !
हमहू जाईब ताबड़तोड़ झरिया।
रेहवा बिकात नईखे
भूखवा सहात नईखे
जाईबी संग सघंतिया।
मतिया कतनो हमार मराई
ऐ पराई माई
तू रहिह हमरे छांहीं
ऐ दुलारी माई॥
फ़सल बरबादे भईल
सगरो अन्हारे भईल
जाईब राजीव भाई के
कोठरिया
ऐ माई!
मिली लूंगी के नोकरिया ऐ माई!
*****
उनकर लागल बा प्रीत
हम कोलकत्ता बानी
जंगल झाड़ खोजत फिरत
गावत
पकावत
लेके दूगो रुमाल
फेफेरी भईल बा बेहाल
तू
धीरे आव।
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जहिया के थरियाउधारी भइल अब दुपहरिया,
ए करिया भाई !
हमहू जाईब ताबड़तोड़ झरिया।
रेहवा बिकात नईखे
भूखवा सहात नईखे
जाईबी संग सघंतिया।
मतिया कतनो हमार मराई
ऐ पराई माई
तू रहिह हमरे छांहीं
ऐ दुलारी माई॥
फ़सल बरबादे भईल
सगरो अन्हारे भईल
जाईब राजीव भाई के
कोठरिया
ऐ माई!
मिली लूंगी के नोकरिया ऐ माई!
*****
-2-
रानी गावत बाड़ी गीतउनकर लागल बा प्रीत
हम कोलकत्ता बानी
जंगल झाड़ खोजत फिरत
गावत
पकावत
लेके दूगो रुमाल
फेफेरी भईल बा बेहाल
तू
धीरे आव।
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लेखक परिचय:
नाम: अरुण शीतांश
जन्म: ०२.११.'७२
शिक्षा: एम ए ( भूगोल औरी हिन्दी में) एम लिब सांईस पी एच डी .एल एल बी
प्रकाशन: दूगो कविता संग्रह, एगो आलोचना क किताब
संपादन: देशज नाँव क हिन्दी पत्रिका क संपादन, पंचदीप किताब क संपादन
कईगो भाखन में कबितन के अनुबाद
संप्रति: नौकरी
संपर्क: मणि भवन, संकट मोचन नगर, आरा ८०२३०१
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