जहिया के थरिया
उधारी भइल अब दुपहरिया,
ए करिया भाई !
हमहू जाइब ताबड़तोड़ झरिया।
रेहवा बिकात नइखे
भूखवा सहात नइखे
जाईबी संग सघंतिया।
मतिया कतनो हमार मराई
ऐ पराई माई
तू रहिह हमरे छांहीं
ऐ दुलारी माई॥
फ़सल बरबादे भइल
सगरो अन्हारे भइल
जाइब राजीव भाई के
कोठरिया
ऐ माई!
मिली लूंगी के नोकरिया ऐ माई!
अंक - 23 (14 अप्रैल 2015)
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