धीरे-धीरे चलत-चलत आज रऊआँ सभ के सोझा मैना के बाइसवाँ अंक परस्तुत बा। बहुते निक लागता कि ईहो अंक भी ले के आवे के मोका मिललऽ। ए अंक में दस गो काब्य रचना बाड़ी सऽ जेवना में तीन गो स्त्री पक्ष रखतऽ बाड़ी सऽ। मृत्युंजय अश्रुज जी कऽ कबिता गरीब के बेटी जँहा रऊआँ के सोचे के मजबूर कऽ दी तऽ ओही जग जलज कुमार अनुपम जी के कबिता दहेजवा से बड़का कवनो पाप न ह भाई दहेज नाँव के राखस विभत्स रूप देखावत बे। डा0 शत्रुधन पाण्डेय जी के कबिता सासु कहे कुलबोरनी के जरिए सास के पतोहु के प्रति खराब बेवहार देखावत बे। बटोहिया जे के बाबू रघुबीर नारायण जी रचले बानी केवनो परिचय के मोहताज नईखे। गुलरेज़ शहज़ाद जी के कबिता झम झमाझम एगो ललित कबिता बे। तऽ आदित्य दूबे जी के चइता चइत महीनवां जेवन चइत महीना के इयाद दियवावत बा। दू गो निरगुन हंस करना नेवास अमरपुर में जेवना के रचनाकार भीखम राम जी औरी सत्य वदंत चौरंगीनाथ के चौरंगीनाथ जी बानी। ओहीङने दूधनाथ उपाध्याय जी के रचल होति बा लड़ाई घनघोर जे फराँस बीच औरी हम चान सुरुज के धरती पर ले आइबि जेवना के रचयिता प्रभुनाथ मिश्र जी हवीं जिनगी के कहानी कहत बाड़ी सऽ। ई अंक रऊआँ सभ खाती परस्तुत बा।
- प्रभुनाथ उपाध्याय
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काहे बैठल बाड़s मनवा मार बाबा
देखके कूहूकेला मनवा हमार बाबा।
भैल बा कवना बात के दुख
देहिआ पलपल जाला सूख।
देखी ले जब तोहके उदास
उठेला हूक जीआ का पास।
कैसे बांटी हम दुखवा तोहार बाबा। देखके......
झम झमाझम रतिया उतरल
बाकिर ई का?
आँख घवाहिल
पपनी पर पपनी बइठवले
झंखत बिया
बाकिर ई का?
आँख घवाहिल
पपनी पर पपनी बइठवले
झंखत बिया
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हंस करना नेवास अमरपुर में - भीखम राम
हंस करना नेवास अमरपुर में।
चलै ना चरखा, बोलै ना ताँती
अमर चीर पेन्है बहु भाँती।। हंस......।।
गगन ना गरजै, चुए ना पानी
अमृत जलवा सहज भरि आनी।। हंस......।।
धरती के गोदिया भरइली हो रामा चढते फगुनवा....
अइले सुहावना दिनवा हो रामा चइत महीनवां
बगिया मे कुहु कुहु गाबे कोयलिया
फुलवन प भवरा मड़इले हो रामा...चइत महिनवा....
अइले सुहावना दिनवा हो रामा चइत महीनवां
बगिया मे कुहु कुहु गाबे कोयलिया
फुलवन प भवरा मड़इले हो रामा...चइत महिनवा....
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दहेजवा से बड़का कवनो पाप न ह भाई - जलज कुमार अनुपम
का हो चाचा का हो भइया
का हो दीदी का हो मइया
कहिया समझ में आई
दहेजवा से बड़का कवनो
पाप न ह भाई।
का हो दीदी का हो मइया
कहिया समझ में आई
दहेजवा से बड़का कवनो
पाप न ह भाई।

हंस करना नेवास अमरपुर में - भीखम राम
हंस करना नेवास अमरपुर में।
चलै ना चरखा, बोलै ना ताँती
अमर चीर पेन्है बहु भाँती।। हंस......।।
गगन ना गरजै, चुए ना पानी
अमृत जलवा सहज भरि आनी।। हंस......।।
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सत्य वदंत चौरंगीनाथ - चौरंगीनाथ

सत्य वदंत चौरंगीनाथ आदि अंतरि सुनौ ब्रितांत।
सालबाहन धरे हमारा जनम उतपति सतिमा झुठ बलीला।। 1।।
ह अम्हारा भइला सासत पाप कलपना नहीं हमारे मने
हाथ पाव कटाय रलायला निरंजन बने सोष सन्ताप मने
सालबाहन धरे हमारा जनम उतपति सतिमा झुठ बलीला।। 1।।
ह अम्हारा भइला सासत पाप कलपना नहीं हमारे मने
हाथ पाव कटाय रलायला निरंजन बने सोष सन्ताप मने
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सासु कहे कुलबोरनी - डा0 शत्रुधन पाण्डेय
बाबूजी के हम रहुईं आँखि के पुतरिया
राखसु करेजवा में मोर महतरिया
आवते ससुरवा अघोरनी रे,
सासु कहे कुलबोरनी।
हवे मतवाली ह कुलछनी मतहिया
सासुजी कहेली खेलवाड़ी ह भुतहिया
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हम चान सुरुज के धरती पर ले आइबि - प्रभुनाथ मिश्र
बाबूजी के हम रहुईं आँखि के पुतरिया
राखसु करेजवा में मोर महतरिया
आवते ससुरवा अघोरनी रे,
सासु कहे कुलबोरनी।
हवे मतवाली ह कुलछनी मतहिया
सासुजी कहेली खेलवाड़ी ह भुतहिया
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हम चान सुरुज के धरती पर ले आइबि
हमरा तहरा में बाटे अन्तर भारी।
हम पैदम बानी, हवा तहार सवारी।
तू बीच पइसि के लिहल बान्हि समुन्दर।
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होति बा लड़ाई घनघोर जे फराँस बीच - दूधनाथ उपाध्याय
सुंदर सुभूमि भैया भारत के देसवा से,
मोरा प्रान बसे हिमखोह रे बटोहिया।
एक द्वार घेरे रामा, हिम कोतवालवा से,
तीन द्वारे सिंधु घहरावे रे बटोहिया।
जाहु-जाहु भैया रे बटोही हिंद देखी आऊं,
जहवां कुहंकी कोइली गावे रे बटोहिया।
औरी पढ़े खाती>>>>>
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होति बा लड़ाई घनघोर जे फराँस बीच,
तवने के चारु ओर चरचा सुनात बा।
चमचम तलवारि चमकति बाटे,
धमधम गोला तोप घहरात बा।
तवने के चारु ओर चरचा सुनात बा।
चमचम तलवारि चमकति बाटे,
धमधम गोला तोप घहरात बा।
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(31 मार्च 2015)
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