मनोरंजन प्रसाद सिंह - संतोष पटेल

मनोरंजन प्रसाद सिंह के जनम १० अक्टूबर सन १९०० ई में शाहाबाद जिला के सुर्यपुरा नामक गाँव में भइल रहे। इनकर पिताजी श्री राजेश्वर प्रसाद जी सब जज रहले। बाद में चलकर पूरा परिवार डुमराव में आके बसि गइल।

पहिले अपने के हिन्दू विश्वविद्यालय काशी में अंग्रेजी के प्रोफ़ेसर रहनी. आगे चलके इहाँ के राजेंद्र कॉलेज छपरा के प्राचार्य भयलीं. अपने के हिंदी के प्रसिद्ध कवी रहीं. भोजपुरी से अपने के अगाध लगाव रहे. आ अंग्रेजी के विद्वान होखला प भी इहाँ के भोजपुरिये में बातचीत करत रहीं.
भोजपुरी के इहाँ के कई गो कविता लिखनी जवन अत्यंत लोकप्रिय भएलिसन. भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के क्रम में प्राय: सब भासा में कवी लोग मातृभासा के प्रति श्रधा सुमन अर्पित कईल. 
हिंदी में माखन लाल चतुर्वेदी, सुभद्रा कुमार चौहान, दिनकर आदि. ओसहीं भोजपुरी में रघुबीर नारायण सिंह के 'बटोहिया' गीत बड़ा लोगप्रिय भइल. ओही कड़ी में रामेश्वर सिंह कश्यप आ मनोरंजन बाबु रहीं.
मनोरंजन बाबु के "फिरंगिया" ओतने लोकप्रिय रहे जेतना रघुवीर नारायण सिंह के " बटोहिया" रहे. फिरंगिया से मतलब अंग्रेजन से बा . कवी के मानल बा कि भारत वर्ष स्वर्ग सामान बा बाकि ई फिरंगी सन एकरा के समसान बना देलस, देस के अन्न के भंडार रहे उहे आज दाना दाना के मुहताज बा.
एहिजा के किसान कापर प हाथ ध के विलखत बाते:-
" सुन्दर सुघर सुभूमि भारत के रहे राम
आज उहे भइल मसान रे फिरंगिया
जहवाँ थोरे दिन पाहिले ही होत रहे
लाखो मन गल्ला आ धन रे फिरंगिया
उहवें प आजू राम मथवा प हाथ धईके
विलाखी के रोवेला किसान रे फिरंगिया".
अंग्रेजी राज्य में भारत के जेतना आर्थिक शोषण भइल ओह तारे एकरा लम्बा इतिहास में कबहूँ ना भइल रहे. एहिजा के कच्चा माल इंग्लैंड चलिजात रहे आ ओहिजा से पक्का माल बनी के एहिजा आवत रहे, कवि कहता :-
" हमनी के सस्ता में रूई लेके ओकरे से
कपडा बना बना के बेचे रे फिरंगिया
अईसहीं अईसहीं दिन भारत के धनवा के
लुटी लुटी ले जाला विदेश रे फिरंगिया"
कवि के हृदय पर पंजाब के जलियावाला बाग के नृशंस हत्या कांड के भी प्रभाव पडल बा आ कवि एह घटना से मर्माहत हो गइल बा:-
"भारत के छाती पर, भारत के बचवान के
बहल रक्तवा के धार रे फिरंगिया"
कवि के नजर में भारत के समस्या के एकमात्र समाधान बा - स्वराज एही में भारत के आ फिरंगिया दुनु के कल्याण बा:-
" एही से त कहतानी, भैया रे फिरंगी तोरे
धरम से करू रे विचार रे फिरंगिया
जुलमी कानून वो तिक्स्वा के रद कदे
भारत के दे दे ते स्वराज रे फिरंगिया"
कवि मातृभासा आ राष्ट्रभासा के प्रति प्रेम के भी राष्ट्रीयता के अंग मनाता. जेकरा मातृभासा आ राष्ट्रभासा से प्रेम नइखे. ऊ कबहूँ राष्ट्रभक्त न हो सके.इहाँ के भोजपुरी के मातृभासा आ हिंदी के राष्ट्रभासा मान तानी. दुनो के भंडार भरे के इहाँ के संकल्प बा.इहाँ के सहन नइखी कर सकत कि हमरा मातृभासा के केहू हेत नजर में देखे.
" ई हमार ह आपन बोली
सुनी केहू जनि ठिठोली
जे जे भाव हृदय के आवे
उहे उतरि कलम पर आवे"
इहाँ के स्वीकार करत नइखी कि मातृभासा के विकास से राष्ट्रभासा के विकास में कवनो बाधा पड़ी अथवा राष्ट्रभासा के प्रगति से मातृभासा के प्रगति रुक जाई.दुनो एक दूसरा के पूरक बा एह से दुनो के भंडार भरे के कोशिश होखे के चाहीं.
"भोजपुरी हमार ह भासा
जईसे हो जीवन के श्वासा
हिंदी ह भारत के भासा उहे एक राष्ट्र के आसा."
कवि के एगो रचना "तबके जवान अब भईले पुरनिया" जीवन के एगो शाश्वत सत्य के परगट करता.संसार के सब गति विधि ओसहीं चलेला, कहूँ कुछुहो फरक न पड़े. फरक वोहिजे पड़ेला कि आदमी देखते देखते काल के गाल में चली जाला.
" चोरी चोरी अबो गोरी करेली कुलेलवा
चोरी चोरी आवे चितचोर
कछुवो ना बदलल हमहीं बदल गइनी
बदलल तोरी अस मोर."
एक दिन संसार से जाये के भी समय आई. प्रयास ईहे रहे कि चाहीं कि जिन्दगी के चादर में कलंक के कारिख मति लगे पावे.
" कुछ दिन अउरी धीरज धरु मनवा
जिनिगी के दिन बाटे थोर
पाकल पाकल केसिया में लागेला करिखवा
राम जी से करू रे निहोरा"
अंग्रेजी में 'नाइटिंगल के गीत' प्रसिद्ध बा. ओही तर्ज प इहाँ के "कौवा गीत " भी लिखने रहीं. कौवा ऊ चिरई ह जेकरा सगरे अपमान मिलेला. केहू कौवा के निमं नज़र से ना देखे. बहूजी के कहला से अगना में उचारी के :-
" उचरिले कब अइहें प्रिये पहुना
हमरा के भेजले ह बाबा भुशंदी
कावं कावं राम बाड़े कौन अंगना "
कुल मिला के ईहे कहल जा सकेला कि मनोरंजन प्रसाद सिंह के कविता सरस भावपूर्ण आ रस सम्बन्ध बा.
अईसन महान साहित्यकार के हमार शत शत प्रणाम.
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लेखक़ परिचय:-

पिता: डॉ गोरख प्रसाद मस्तना 
माता: श्री मती चिंता देवी
जन्म: 4 मार्च, 1974, बेतिया, पश्चिम चंपारण, बिहार 
शिक्षा: रिसर्च स्कॉलर (भोजपुरी) विषय " भोजपुरी साहित्य के विकास में चंपारण के योगदान", 
एम ए (त्रय) (इंग्लिश, हिंदी भोजपुरी), एम फिल (इंग्लिश)
स्नातकोतर डिप्लोमा (अनुवाद, पत्रकारिता व जनसंच्रार), सिनिअर डिप्लोमा (गायन)
सम्प्रति: संपादक - भोजपुरी ज़िन्दगी, सह संपादक - पुर्वान्कूर, (हिंदी - भोजपुरी ), साहित्यिक संपादक - डिफेंडर (हिंदी- इंग्लिश- हिंदी), रियल वाच ( हिंदी), उपासना समय (हिंदी), 
भोजपुरी कविताएँ एम ए (भोजपुरी पाठ्यक्रम, जे पी विश्वविद्यालय ) में चयनित " भोजपुरी गद्य-पद्य संग्रह-संपादन - प्रो शत्रुघ्न कुमार 
सदस्य : भोजपुरी सर्टिफिकेट कोर्स निर्माण समिति, इग्नू, दिल्ली 
सदस्य: आयोंजन समिति - विश्व भोजपुरी सम्मलेन, दिल्ली, महासचिव - पूर्वांचल एकता मंच,
राष्ट्रीय संयोजक - इन्द्रप्रस्थ भोजपुरी परिषद् 
महासचिव - अखिल भारतीय भोजपुरी लेखक संघ, दिल्ली 

प्रचार मंत्री - अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मलेन, पटना 
प्रकाशन: भोर भिनुसार (भोजपुरी काव्य संग्रह), शब्दों के छांह में (हिंदी काव्य संग्रह), Bhojpuri Dalit Literature- Problem in Historiography
प्रकाश्य: भोजपुरी आन्दोलन के विविध आयाम, भोजपुरी का संतमत- सरभंग सम्प्रदाय, Problem in translating Tagore's novel - The Home and The World, अदहन (भोजपुरी के नयी कविता)
अंक - 27 (12 मई 2015)
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