इयादि आवत बा - भावेश अंजन

कइसे भुलाईं, तहार इयादि आवत बा।

उ पीछे-पीछे धावल
उ पराती भी गावल
केतनो महटियाईं, मनवा के लुभावत बा।

उ दुध-भात कटोरा
उ कन्हइया - कोरा
उ पाकिट में मिठाई, अबही टोवावत बा।

उ पुअरा के बिछौना
उ माँटी के खिलौना
झँकझोरत अबहियो, ऊ सरियावत बा।

उ पानी वाला गगरी
उ अंजन वाला नगरी
आजुवो आँखिन में, अंजन रचावत बा।

कइसे भुलाईं, तहार इयादि आवत बा।
का कही, कइसे कही, इयादि आवत बा॥
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