पानी के पियासि पानीये बुझावेला - भावेश अंजन

पा के पानी के पानी जवान हो गइल।
सुखत जिनगी के पुरा अरमान हो गइल॥

झउसत रहे धरती अबे हरिअराइल
पपनी के पानी जस जाता बढ़िआइल
आजु बदरा बा आपन मेहमान हो गइल॥

टुटल पिरीत जस कोरा में कसिके
जियरा जुड़ावेला जुड़ा में फसि के
पुरा मनवा के साचो सनमान हो गइल॥

रतिया में बरसे आ कनखी चलावे
नजर बचा के रोजो अंजन रचावे
नीके-नीके नवको सब, नेवान हो गइल॥
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भावेश अंजन

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