कोरोना - जयशंकर प्रसाद द्विवेदी

मरकिनौना कोरोना

इहवाँ होरिया के रंग देखइबै हो
मरकिनौना कोरोना भगइबै हो।

कहवाँ डरबै रंग-अबीरवा
अरे कहवाँ कुरता फरवइबै हो
मरकिनौना कोरोना भगइबै हो।

अवध में डरबै रंग-अबीरवा
अरे पटने में कुरता फ़रवइबै हो।
मरकिनौना कोरोना भगइबै हो।

कहवाँ डरबै गोबर कनइया
अरे कहवाँ भांग घोटवइबै हो।
मरकिनौना कोरोना भगइबै हो।

गउवाँ में डरबै गोबर कनइया
अरे काशी जी में भांग घोटवइबै हो।
मरकिनौना कोरोना भगइबै हो।

कहवाँ देखइबै झूठ के झउवा
अरे कहवाँ से रसता पकड़इबै हो।
मरकिनौना कोरोना भगइबै हो।

दिल्ली में देखइबै झूठ के झउवा
अरे दिल्लिए से रसता पकड़इबै हो।
मरकिनौना कोरोना भगइबै हो।
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चहके कोरोनवाँ

चइता के साध मरि गइलें हो रामा
चहके कोरोनवाँ।

चाइना अइसन हवा चलवलस
सबके मुँह पर ढकनी लगवलस
गाँव-शहर कुल्हि डेरइलें हो रामा।
चहके कोरोनवाँ।

अचके में केहु सटे न पजरा
देव दइतरा भइलें दहिजरा
अँचरा में चान लुकइलें हो रामा
चहके कोरोनवाँ।

बन्न भइल भेंटल अकवारी
संसरत उतरी चइती खुमारी
अबके दुआर सून भइलें हो रामा
चहके कोरोनवाँ।
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पियवा सिपहिया

कइलस कोरोनवा चढ़इया हो रामा
पियवा सिपहिया।

निडर होई करता लड़इया हो रामा 
पियवा सिपहिया।

देशवा में फइलल बा महमरिया
विधि बेवस्था बनवइया हो रामा
पियवा सिपहिया।

लोग घबरइहे आ ढेर अंउजइहें
बुझी बुझी करिहें कड़इया हो रामा
पियवा सिपहिया।

मंगिया बनल रहे मोर सेनुरवा
देश खातिर होखें सहइया हो रामा
पियवा सिपहिया।
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ई कोरोनवा हो

चाइना से आई भर दुनिया में पइसल
ई कोरोनवा हो।

कई देहलस सबही के उदास
इटली अमेरिका संगे दुनिया के छकवलस
ई कोरोनवा हो।

भरी लेहलस सभके बाहु पास 
बन भइले घरवा में लोगवा लोगइया 
ई कोरोनवा हो। 

बहुतन के करवता उपास 
लइका परानी छछनाली कुल्हि ज़नानी 
ई कोरोनवा हो। 

सूझत नइखे जिनगी के आस 
हाथ जोरी करै लगल सबही नमस्ते 
ई कोरोनवा हो। 

लील गइल सगरी बिसवास 
पाँव परीले तोहरे देवता पितरवा 
ई कोरोनवा हो। 

भागी कइसे देइदा अभास
केकरो जनि उड़ावे उपहास
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कोरोनवा में पिया घरे जनि आवा

नंगिन से नया जनि नाता निभावा
कोरोनवा में पिया घरे जनि आवा॥

एक एक दिन घरवा जुग अस लागे
सबही लुकाइल बा डरिया के आगे
लुका-लुका उहें लाकडाउन बितावा।

इटली अमेरिका में मउवत घहराइल
सरकारी आडर ह टीवी पर सुनाइल
किताबि, मोबाइल में जियरा लगावा।

दुअरा पर खाड़ होई सिकड़ी बजाई
खोला जनि केवाड़ भीतरि घुसि आई
मारि मारि मउवत के लम्मे भगावा।

उगिहें सुरूज़, छटि जाई बदरिया
सुख में जियल जाई बाचल उमिरिया
अपना भीतरि जिये क साहस जगावा।
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कोरोनवाँ का डर 

हाल-चाल बबुआ ना कहलो कहाला
कोरोनवाँ का डर सहलो ना जाला।

चाइना से निकसि के फइलल सगरों
बीपत भइल बाटे अब चलल डहरो
झूठ साँच घोर घारि मंठा महाला।
कोरोनवाँ का डर सहलो ना जाला।

मिलला पर खाड़ होत एक ओर कगरी
डरि के लुकाइल सब घरवा का भितरी
आँखिन का लोर ना थमले थम्हाला।
कोरोनवाँ का डर सहलो ना जाला।

कुलबोरन मरकिनौना उमड़त बेढंगा
मुअत लोग जइसे, पसरल हो दंगा
असमय रहनि नाही जरिको बुझाला।
कोरोनवाँ का डर सहलो ना जाला।

अमरइया महके महुववो कोचाइल
पाकल मटरिया गेहूँओ पोढ़ाइल
खरिहनवों में बोलबत खुबे सुनाला।
कोरोनवाँ का डर सहलो ना जाला।

धइले बा दुनिया का भरि अँकवारी
ओकर कहर बाटे सबका पे भारी
असरा का सूरज न कतहीं देखाला।
कोरोनवाँ का डर सहलो ना जाला।
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सुना हो बबुआ रहा भितरी महलिया

देश का पुकार सुना माना कहलिया
सुना हो बबुआ रहा भितरी महलिया।

कोरोना के नइखे कवनों दवाई
बाँचे खाति रहिहा घरवें लुकाई
अबहिन जनि करिहा बहरा टहलिया।
सुना हो बबुआ रहा भितरी महलिया।

काँच-पाक खाई बचवले रह संसिया
एह घरी एही में जिनगी क असिया
बढ़-चढ़ के सफल तू करावा पहलिया।
सुना हो बबुआ रहा भितरी महलिया।

समइया बितावा खोली के पुतरी
जाई कोरोनवा, अँजोरिया उतरी
छना-छन छनकी तहिया पायलिया।
सुना हो बबुआ रहा भितरी महलिया।
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लेखक परिचय:-
इंजीनियरिंग स्नातक;
व्यवसाय: कम्पुटर सर्विस सेवा
सी -39 , सेक्टर – 3;
चिरंजीव विहार , गाजियाबाद (उ. प्र.)
फोन : 9999614657
ईमेल: dwivedijp@outlook.com
मैना: वर्ष - 7 अंक - 118-119 (अप्रैल - सितम्बर 2020)

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