बाबू बिमार
दवाई आइल ना
कबले जीहें।1।
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घर जमाई
ससुरारे बसले
माथा प घूर।2।
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सावन भादो
दिन बरसात के
धान रोपाई।3।
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झुला कजरी
हरि जी के झुमर
रोज गवाई।4।
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खेत बधार
चूहू चूहू हरियर
खुश किसान।5।
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भादो के रात
कुचू कुचू करिया
सुझे ना राह।6।
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बाजन बाजे
दुअरा पर आज
काली पूजाई।7।
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बाते पे बात
बतंगड़ भइल
बिना बात के।8।
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गाय बेचके
कुत्ता किनाईल बा
नया रिवाज।9।
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राम मंदिर
वोट के राजनीति
कबले चली।10।
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धोती गमछा
भोजपुर के शान
खुब फबेला।11।
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पारंपरिक
सब रीत रिवाज
साँची से बाची।12।
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मुफ्त के माल
झुठा शान बखान
कबले चली।13।
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हम किसान
अन्न के दाम बिन
भूखे मुअब।14।
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हम किसान
मौसम प्रतिकुल
सुझे ना कुछ।15।
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कनक किशोर
मैना: वर्ष - 7 अंक - 118-119 (अप्रैल - सितम्बर 2020)
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