डॉ. हरेश्वर राय के पच्चीस गो गीत

आइ हो दादा

सपना देखनीं भोरहरिया 
आइ हो दादा,
मुखिया हो गइल मोर मेहरिया 
आइ हो दादा।

हमरा दुअरा उमड़ रहल बा
सउँसे गाँव जवार, 
लाग रहल बा देवीजी के 
नारा बारम्बार, 
डीजे बाजता दुअरिया 
आइ हो दादा।

ढोल नगाड़ा बाजे लागल 
जुलुस निकलल भारी,
आगे आगे नवका मुखिया 
पीछे से नर नारी,
बड़ुए मध दुपहरिया 
आइ हो दादा।

चौकठ-चौकठ घूमे लगली
नवा नवा के सीस, 
बड़ बुढ़न से माँगत गइली 
अपना के आसीस,
गोड़ प ध ध के अंचरिया 
आइ हो दादा।

उनकर पीए हो गइनी हम 
दून भइल मोर सान,
आगा पाछा घुमत बानी 
सुबह से लेके साम,
छोड़ के खेत आ बधरिया
आइ हो दादा।
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ओम शांति

अबकी के फागुन में, इ कइसन हवा चल गइल
मछरी के मिलल रेत, तितली के पाँख जल गइल।

अनगुत डरल सहमल, दिन औंघाइल अस
साँझ के सुहानापन, कंदील नियर गल गइल।

लाल रंग टेसूअन के, फाट के कपास रंग भइल
फूलन के छाती में, ओला के तीर हल गइल।

फाग के किताबन पर, दिअँकन के राज बा भइल
आमन के मोजर पर, लाहीन के रंग डल गइल।

शहादत पर सियासत के, घटिया सा खेल चल रहल
ओम शांति के छाती पर, आतंक आके मुंग दल गइल।
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कइसे मनावल जाई फगुआ देवारी

रोवतारे बाबू माई 
पुका फारि फारी,
बए क के कीन लेहलस 
पपुआ सफारी।

साल भर के खरची बरची
कहवाँ से आई, 
चाउर चबेनी के
कइसे कुटाई,
कइसे लगावल जाई 
खिड़की केवारी।

छठ एतवार कुल्ही
फाका परि जाई, 
बुचिया के कहवाँ से 
तिजीया भेजाई,
कइसे मनावल जाई 
फगुआ देवारी।

रांची बोकारो घूमी 
घूमि गाँवाँ गाँईं,
ललकी पगरिया बान्ही
भाईजी कहाई,
लफुअन से मिले खातिर 
जाई माराफारी।

चिकन मटन के संगे 
दारू खूब घोंकी, 
पी के पगलाई त 
कुकुर जस भोंकी,
कुरुता फरौवल करी
लड़ी फौजदारी।
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जहाँ खाली प्यार मोहब्बत होखे शैतानी ना होखे 

उ घर घर ना ह जवना प कवनों छानी ना होखे
उ नैन कइसन जवना में कवनों पानी ना होखे।

दाम्पत्य के देवाला निकले में इचिको देर ना लागे 
त्याग-समर्पन के राही जदि दुनों परानी ना होखे।

दिल के अइसन सिंघासन के का मतलब हरेश्वर 
जवना प बइठल कवनों रानी-महरानी ना होखे।

ओह जिनिगिया के कीमत दू कौड़ी के रहि जाला
जवना में चानी काटे के कवनों कहानी ना होखे।

अब चलीं सभे चलीं जा एगो नया नगर बसाईं जा
जहाँ खाली प्यार मोहब्बत होखे शैतानी ना होखे।
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गुमसुम दुपहरी 

गहरान हमरा क्षोभ के अथाह हो गइल
सगी हमरी सरौती कटाह हो गइल।

गाँव से उजड़नी शहर में भूलइनी
हमरा दरद के कठौती कड़ाह हो गइल।

हमार रिश्ता टूटल फूल से गंध से
हमार सरगम बपौती तबाह हो गइल।

तनवा बा बंधुआ आ मनवा भी बंधुआ
हमार असमय बुढ़ौती गोटाह हो गइल।

गुमसुम दुपहरी आ गुमसुम गोरइया
हमरा डर के सिलौटी निठाह हो गइल।
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घुंघटा

तनिका घुंघटा हटा दीं गज़ल लिख दीं
रउरा मुखड़ा के नाँव नीलकमल लिख दीं।

मुस्कुरा दीं तनिक अध खिलल कली अस
त एह अदा के नाँव ताजमहल लिख दीं।

अध खुलल आँख से तिरछे ताकीं तनिक
ताकि अमरित के गागर भरल लिख दीं।

ठाढ़ पल भर रहीं भर नजर त देख लीं
ए जहाँ के सबसे सुन्दर नसल लिख दीं।

मौन के अपना अतना बना दीं मुखर 
प्यार के इयार मूरत असल लिख दीं।
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चलीं अपना गाँव

चलीं अपना गाँव
तनि सा घूम आईं।

पत्थल के एह नगरिया में
पथरा गइलीसन आँख,
टुटल डाढ़ी अस गिरल बानी
कटल परल मोर पाँख,
लागल बा चोट कुठाँव
त कइसे धूम मचाईं।

खिसियाइल दुपहरिया में
तिल तिल के तन जरता,
नोनिआइल देवालिन में
नोनी जस मन झरता,
ओहिजे मिली नीम छाँव
तनिसा झूम आईं।

छाँह नदारद ठाँह नदारद
माहुर उगलत नल,
का जाने कइसन बा आपन
आवेवाला कल,
दादी अम्मा के पाँव
तनि सा चूम आईं।
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चानी काट तानी

पतझड़ पइसल आके हमनी के बगानी में 
चानी काट तानी रउरा राजधानी में।

फूलन के वर्षा में रउरा ओने भिंगत बानी 
बज्जर एने गिरत खेत – खरिहानी में।

साठा में भी पाठा बनके जानी उड़त बानी
घुनवा लागत बड़ुए हमनी के जवानी में।

छानत-घोंटत बानी रउरा मेवा और मलाइ
खलिहा तसला एने ढनकता चुहानी में।

हमनी के बोली भाषा के कइनी भूँसी-भूँसी
रउरा बोलत बानी खाली अब जापानी में।

आईं अबकी राजाजानी आँख बिछौले बानी जा 
होई चुकता कुल्ह हिसाब अगुआनी में।
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जिंदगी रेत जइसन पियासल बिया 

सियासी छेनी से कालिमा तराशल बिया
चांदनी हमरा घर से निकासल बिया।

भोर के आँख आदित डूबल बा धुंध में
साँझ बेवा के मांग जस उदासल बिया। 

सुरसरी के बेदना बढ़ल बा सौ गुना
नीर क्षीर खाति माछरि भुखासल बिया।

कोंपलन पर जमल बा परत धुरि के
बूंद-बूंद खाति परती खखासल बिया।

खाली थोथा बचल बा उड़ल सार सब
जिंदगी रेत जइसन पियासल बिया।
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दुपहरी खरुआइल देखनी 

गाँवन में फटहाली देखनी 
नगरन में बदहाली देखनी 
मेहनतकश लोगन के हाथे 
खाली खाली थाली देखनी।

ठंढा चूल्हा चिसत देखनी 
पैर बिवाई रिसत देखनी 
मालिक लोगन के सेवा में 
कइ गो एँड़ी घिसत देखनी।

अरमानन के जरत देखनी 
हरिश्चंद के सरत देखनी 
परवत जइसन दरद लेले
बाबूजी के मरत देखनी।

त्योहारन के रोवत देखनी 
बीज फूट के बोवत देखनी 
घोड़ा बेंच के साहूकार के 
खर्राटा संग सोवत देखनी।

फूलन के मरुआइल देखनी 
शूलन के अगराइल देखनी
अगहन पूस महीना में भी 
दुपहरी खरुआइल देखनी।
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देंह फागुन महीना हमार भइल बा 

हमार जहिआ से नैना दू से चार भइल बा,
हमरा भितरा आ बहरा बिहार भइल बा।

पहवा फाटल हिया में अंजोर हो गइल, 
पाँख में जोस के भरमार भइल बा।

जाल बंधन के तहस नहस हो गइल,
संउसे धरती आ अम्बर हमार भइल बा।

पूस के दिन बीतल बसंत आ गइल, 
देंह फागुन महीना हमार भइल बा।

महुआ फुलाइल आम मोजरा गइल, 
हमरा दिल में नसा बरियार भइल बा।
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आवले बोलता नयका बिहान 

हर के कलम से 
धरती के कागज प 
पसीना के सियाही से 
जीवन उकेरे ला किसान 
बाकिर ओकरे घटल रहता 
चाउर पिसान!

ओकरे पसीना 
अतना सस्ता काहे बा 
ओकरे हालत 
अतना खस्ता काहे बा 
सवाल प सवाल 
पूछता किसान?

चुप्पी टूटल बा 
त बुढ़िया आन्ही अइबे करी
ताश के पत्ता से बनल 
ताज तखत उड़इबे करी 
आ अन्हरिया के होई 
सम्पुरने भसान।

उगिहें सुरुज 
पुरुबवाके ओर 
झाँकी किरिनिया 
अंगनवा के ओर
बदलल बा मिजाज मौसम के
आवले बोलता नयका बिहान।
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पतझड़ भइल अनंत 

रमकलिया के गाँव से
रूठ गइल मधुमास।

कोकिल से कंत बसंत रूठल 
थापन से मिरदंग 
कलियन से अंगड़ाई रूठल 
फागुन भइल बेरंग।

परबतिया के पाँव से 
लूट गइल अनुप्रास।

हरिया से होरी रूठल 
हल्कू से सब खेत 
छठिया से चूड़ी रूठल 
बुधिया मर गइल सेंत।

करिया कगवा के काँव से 
असवा भइल निरास।

फूलन से भौंरा रूठल 
मोजर से रूठल सुगंध 
फुलवारी से तितली रूठल 
पतझड़ भइल अनंत।

बीच भँवर में नाव से 
उठ गइल बिसवास।
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प्यार में तोहरा पागल जिया हो गइल 

प्यार में तोहरा पागल जिया हो गइल 
मोर निंदिया उड़ल चिड़िया हो गइल।

हमरा खाए नहाए के सुध ना रहल 
ई सरिरिया सुखल छड़िया हो गइल।

दढ़िया बढ़ल केसवा अझुरा गइल 
हमार दिलवा जरत बीड़िया हो गइल।

केहू पागल दीवाना काकादो कहल 
केहू कहल कि ई बढ़िया हो गइल।

हमरा पंजरा कहेके त बहुत कुछ रहे 
बाकि मिलनी त जीभ बुढ़िया हो गइल।
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बहस जारी बा 

के जीती के हारी, बहस जारी बा,
पुरुष कि नारी, बहस जारी बा।

पिंटुजी कहले कि जितिहें हरेशवर 
टेंटुआ धइले तिवारी, बहस जारी बा।

केहुओ उड़ावत बा डंडा में झंडा 
केहु झोंकत बा गारी, बहस जारी बा।

धसोरा- धसोरी, लखेदा- लखेदी
चालू बा मारामारी, बहस जारी बा।

कहीं त लिख के दे दीहीं नतीजा 
फेरु से जन्ते ही हारी, बहस जारी बा।
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बाबाजी के ठेंगा 

बवन्डर चुनउआ के त पार हो गइल 
मोर देश के पिरितिया बेमार हो गइल।

पपुआ आ गपुआ में मचल खींचतानी 
मलवा लेके गोसइयाँ फरार हो गइल।

मोंछ्वालू गइलन त अइलन मोंछ्मुंडा
बहुरुपियन के फेरु सरकार हो गइल।

केहुओ के गाड़ी केहू के मिलल छकड़ा
आ बाबाजी के ठेंगा हमार हो गइल।

धइलन शनिच्चर हमर कस के फँफेली
हरबार लेखा फेर हमर हार हो गइल। 
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बुझल चूल्हा के उपला प आग मिलल बा 

हमरा मनवाँ के मांगल मुराद मिलल बा 
दिल के गमला में हमरा गुलाब खिलल बा।

हमरा धड़कन के जेतना सवाल रहन सन 
ओह सवालन के सुन्दर जबाब मिलल बा।

हमरा नयनन के दरपन में चाँद आ बसल 
हमरा होंठन के सरगम शराब मिलल बा।

मन के बंजर बधार में बहार आ गइल 
भरल फगुआ से सोगहग किताब मिलल बा।

जेठ जिनिगी में सावन के फूल खिल गइल 
बुझल चूल्हा के उपला प आग मिलल बा।
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बुढ़उती के दरद

मार उमिर के अब त सहात नइखे 
साँच कहीं बुढ़उती ढोआत नइखे।

ओढ़े आ पेन्हे के सवख ना बाँचल
फटफट्टी के किकवा मरात नइखे। 

बाँचल नरेटी में इच्को ना दम बा
गरजल त छोड़ दीं रोवात नइखे।

भूख प्यास उन्घी कपूरी भइल सब 
हमसे तिकछ दवाई घोंटात नइखे।

लोगवन के नजरी में भइनी बेसुरा 
गीत गज़ल सचमुच गवात नइखे।
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भरम 

पत्थल के हिरिदय में पानी के भरम कइसन
जब मुँहे में जीभ नइखे बानी के भरम कइसन।

सोना के खजाना पर जहाँ चोरन के पहरा बा
जस्ता के कटोरा में चानी के भरम कइसन। 

जहाँ लुटा खसोटी के बाटे बहुते पुराना चलन
ओह लुटेरन के बस्ती में दानी भरम कइसन। 

अब पछेया के गोड़वन में बड़ी भारी परल बेड़ी
जब पुरवा बिया सहमल आन्ही भरम कइसन।

मेहराइल उदासी से धुआँ के गुबार उठ रहल
जब ऊपर खुला अम्बर छानी भरम कइसन।
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मन उदास बा

सुक्खल नदी जस 
मन उदास बा।

चाँद जस आस में 
लागल बा गरहन,
सपना के पाँखी प 
घाव भइल बड़हन,
डेगे डेग पसरल 
खाली पियास बा।

आँखी के बागी में 
पतझड़ के राज बा,
मन के मुंडेरा प
गिर रहल गाज बा,
उदासी के गरल से
भरल गिलास बा।

हँसी के फूल प 
उगल बा शूल 
ख़ुशी के खेत में
उगल बबूल,
जिनिगी सरोवर के 
घाट बदहवास बा।
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रंगदार हो गइल

रंगदार हो गइल 
मोरा गाँव के लल्लू।

ठेलठाल के इंटर कइलस
बीए हो गइल फेल, 
रमकलिया के रेप केस में 
भोगलस कुछ दिन जेल,
असरदार हो गइल 
मोरा गाँव के लल्लू।

खादी के कुरूता पयजामा
माथे पगड़ी लाल, 
मुँह में पान गिलौरी दबले
चले गजब के चाल,
ठेकेदार हो गइल 
मोरा गाँव के लल्लू।

पंचायत चुनाव में 
कइलस नव परपंच, 
समरसता में आग लगवलस 
चुनल गइल सरपंच, 
सरकार हो गइल
मोरा गाँव के लल्लू।
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सुन्दर भोर

अम्बर के कोरा कागज़ प
ललका रंग छिंटाइल बा,
सोना रंग सियाही से 
सुन्दर भोर लिखाइल बा।

नीड़ बसेरन के कलरव के 
सगरो तान छेड़ाइल बा,
अन्धकार के कबर के ऊपर 
आस उजास रेंड़ाइल बा।

मंद पवन मकरंद बनल बा
नीलकमल मुसुकाइल बा,
मोती रूप ओस धइले बा 
गुलमोहर सरमाइल बा।

भानु बाल पतंग बनल बा
तितली दल इतराइल बा,
कोयल, संत, सरोज, बटोही
सबके मन अगराइल बा।
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हमरा प्यार हो गइल 

हमरा रोग एगो बड़ी बरियार हो गइल 
प्यार हो गइल हमरा प्यार हो गइल।

तीख नयनन के बान से बेधाइल जिया 
हमार जियरा बेचारा शिकार हो गइल। 

केकरो रूप के नसा आँख में आ बसल 
हमरा अँखिया से निंदिया फरार हो गइल।

कवनों पुरवा निगोड़ी के पा के छुवन 
दर्द दिल के समुन्दर में ज्वार हो गइल।

हमार अरमान बा रोग निकहा बढ़े 
अब त जिए के इहे आधार हो गइल।
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हमार जान ह भोजपुरी

हमार शान ह
हमार पहचान ह भोजपुरी,
हमार मतारी ह
हमार जान ह भोजपुरी।

इहे ह खेत, इहे खरिहान ह
इहे ह सोखा, इहे सिवान ह,
हमार सुरुज ह
हमार चान ह भोजपुरी।

बचपन बुढ़ापा ह, ह इहे जवानी
चूल्हा के आगि ह, अदहन के पानी,
हमार साँझ ह
हमार बिहान ह भोजपुरी।

ओढिला इहे, इहे बिछाइला
कुटिला इहे, इहे पिसाइला,
हमार चाउर ह
हमार पिसान ह भोजपुरी।

इहे ह धरन, इहे ह छानी
हमरा पसीना के इहे कहानी,
हमार तीर ह
हमार कमान ह भोजपुरी।

कजरी ह बिरहा ह, इहे ह फ़ाग
इहे कबीरा ह, इहे ह घाघ,
हमार बिरासत ह
हमार ईमान ह भोजपुरी।
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हिपिप हुर्रे हुर्रे 

मोर गइयाँ शहरियो से आले, हिपिप हुर्रे हुर्रे
गाली भरल बा गाले गाले, हिपिप हुर्रे हुर्रे।

सतुआ आ घुघुनी के मोल ख़तम बा
चलतरुए डोसा मसाले, हिपिप हुर्रे हुर्रे।

बाबूजी लोग अपना बुढ़ौती के लाठीन से
भोरहीं भोर रोजहीं पीटाले, हिपिप हुर्रे हुर्रे।

पिनसिन के पइसा गपेले के खातिर
माई रोज रोजहीं कुटाले, हिपिप हुर्रे हुर्रे।

ताल तलइयन से रिश्ता ख़तम बा
पाइप से भुअरी धोआले, हिपिप हुर्रे हुर्रे।

केहू कंगरेसिया बा, केहू भजपइया
केहू जेडीयू केहू माले, हिपिप हुर्रे हुर्रे।

राशि के ऊपर बढ़ाँव बाबा बइठल
नीचे से रोज मूस चाले, हिपिप हुर्रे हुर्रे।
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लेखक परिचय:-
प्रोफेसर (इंग्लिश) शासकीय पी.जी. महाविद्यालय सतना, मध्यप्रदेश
बी-37, सिटी होम्स कालोनी, जवाहरनगर सतना, म.प्र.,
मो नं: 9425887079
royhareshwarroy@gmail.com






मैना: वर्ष - 7 अंक - 117 (जनवरी - मार्च 2020)

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