इनार - दिलीप कुमार पाण्डेय

उजर से किनलें, भुअर एगो इनार,
पटा बोअलें चीना,भर गइल दुआर।

उजर के बहरना, लागल सीखावे,
आ इनार छीने के, बुद्धि बतावे।

कहिहऽ इनार तहार, पानी हमार,
पानी निकलल त फोड़ देम कपार।

इहो जदि चाहीं, त पइसा द आउर,
कोर्ट में घींचइबऽ, दिन होई बाउर।

ठीक बा पानी तहरे, इनार हमार,
त पानी के रखईए, दे दऽ इयार।

ई सुन उजर के, अकिल हेराइल,
ओकिलवा के बुद्धि,काम ना आइल।

कह दीहऽ ओकिल के, आउर तनी पढ़स,
मास्टरन से बेसी, आगा जनि बढ़स।
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लेखक परिचय:-
नाम - दिलीप कुमार पाण्डेय
बेवसाय: विज्ञान शिक्षक
पता: सैखोवाघाट, तिनसुकिया, असम
मूल निवासी -अगौथर, मढौडा ,सारण।
मो नं: 9707096238




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