माई ! तोरा आँचर तर हम सब सुख पवनी, जनम संवरनी
कईसन कईसन खेल खेलि के तोरा के सचहूँ अगरवनी।
जहाँ कबो हम अलगा जाईं तोरा खातिर उ दुखदाई
प्यार भरल उ अमरित दे तें चाहे केतनो उधम मचवनी।
अब हम जन-सेवा अपनाईं तोरा दूध के लाज बचाईं
साँचो सज्जन के गुन गाईं, अब ले केतना समय गँववनी।
देश-राष्ट्र खातिर ई देहिया अमर शहीदन से नित नेहिया
इहे तें आसीस सदा दे, केतना लोगन के भरमवनी।
गुरु-पुरोहित के रे माई ! तें अँगऊ दिहले हरसाई
तोरे सिखवन करत करत हम संतोषे में सुख अपनवनी।
कईसन कईसन खेल खेलि के तोरा के सचहूँ अगरवनी।
जहाँ कबो हम अलगा जाईं तोरा खातिर उ दुखदाई
प्यार भरल उ अमरित दे तें चाहे केतनो उधम मचवनी।
अब हम जन-सेवा अपनाईं तोरा दूध के लाज बचाईं
साँचो सज्जन के गुन गाईं, अब ले केतना समय गँववनी।
देश-राष्ट्र खातिर ई देहिया अमर शहीदन से नित नेहिया
इहे तें आसीस सदा दे, केतना लोगन के भरमवनी।
गुरु-पुरोहित के रे माई ! तें अँगऊ दिहले हरसाई
तोरे सिखवन करत करत हम संतोषे में सुख अपनवनी।
---------------------------------------------------
अक्षयवर दीक्षित
अति सुंदर भोजपुरी कविता नमन है भोजपुरी फिल्म कवि की शत शत नमन
जवाब देंहटाएं