भारत माँ के वीर सपूत - संदीप राज़ आनन्द

जान भले तू दे दिह पर पीछे ना कदम हटईह तू।
ए भाई अब घर में घुसी के दुश्मन क मार गिरईह तू।

बहुत भइल अब गुंडागर्दी बहुत भइल मनमानी हो
सुलह बहस से काम ना चलि खतम कर ई कहानी हो
बस एक्के उपाय बचल आतंक के समूल मिटईह तू।
ए भाई अब घर में घुसी के दुश्मन क मार गिरईह तू
जान भले तू दे दिह पर पीछे ना कदम हटईह तू।।

कबले कवनो माई आपन अचरा अइसे भेवत रहीं
कबले माँग क सेनुर उजड़ी बाप बेचारा रोवत रहीं
भारत माँ के वीर सपूत अब आपन फर्ज निभईह तू।
ए भाई अब घर में घुसी के दुश्मन क मार गिरईह तू।
जान भले तू दे दिह पर पीछे ना कदम हटईह तू।।
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लेखक परिचय:-
नाम: संदीप राज़ आंनद
संक्षिप्त परिचय-छात्र,स्नातक (हिन्दी साहित्य) इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय
प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)
सम्पर्कसूत्र-7054696346
ग्राम-अहिरौली,पोस्ट-खड्डा
जनपद-कुशीनगर(उत्तरप्रदेश)

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