जान भले तू दे दिह पर पीछे ना कदम हटईह तू।
ए भाई अब घर में घुसी के दुश्मन क मार गिरईह तू।
बहुत भइल अब गुंडागर्दी बहुत भइल मनमानी हो
सुलह बहस से काम ना चलि खतम कर ई कहानी हो
बस एक्के उपाय बचल आतंक के समूल मिटईह तू।
ए भाई अब घर में घुसी के दुश्मन क मार गिरईह तू
जान भले तू दे दिह पर पीछे ना कदम हटईह तू।।
कबले कवनो माई आपन अचरा अइसे भेवत रहीं
कबले माँग क सेनुर उजड़ी बाप बेचारा रोवत रहीं
भारत माँ के वीर सपूत अब आपन फर्ज निभईह तू।
ए भाई अब घर में घुसी के दुश्मन क मार गिरईह तू।
जान भले तू दे दिह पर पीछे ना कदम हटईह तू।।
---------------------------------------
ए भाई अब घर में घुसी के दुश्मन क मार गिरईह तू।
बहुत भइल अब गुंडागर्दी बहुत भइल मनमानी हो
सुलह बहस से काम ना चलि खतम कर ई कहानी हो
बस एक्के उपाय बचल आतंक के समूल मिटईह तू।
ए भाई अब घर में घुसी के दुश्मन क मार गिरईह तू
जान भले तू दे दिह पर पीछे ना कदम हटईह तू।।
कबले कवनो माई आपन अचरा अइसे भेवत रहीं
कबले माँग क सेनुर उजड़ी बाप बेचारा रोवत रहीं
भारत माँ के वीर सपूत अब आपन फर्ज निभईह तू।
ए भाई अब घर में घुसी के दुश्मन क मार गिरईह तू।
जान भले तू दे दिह पर पीछे ना कदम हटईह तू।।
---------------------------------------

नाम: संदीप राज़ आंनद
संक्षिप्त परिचय-छात्र,स्नातक (हिन्दी साहित्य) इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय
प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)
सम्पर्कसूत्र-7054696346
ग्राम-अहिरौली,पोस्ट-खड्डा
जनपद-कुशीनगर(उत्तरप्रदेश)
अब माँ का आँसू और न बहने देना है
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी कविता है
वाह वाह, बहुत अच्छा लगा पढ़ के, कि तुम बजी लिखते हो
जवाब देंहटाएंBhut hi accha
जवाब देंहटाएंजय हिन्द
जवाब देंहटाएंHai hind sir
जवाब देंहटाएंजय हिन्द
जवाब देंहटाएं