पहिले पहिले इस्कुले गईनी - विवेक मणि त्रिपाठी

पहिले पहिले इस्कुले गईनी
ऊ इस्कूल का रहे
रहे एगो छोटहन बगईचा
आवते मास्टर साहेब
मंगले एगो बोरा पईंचा
आपन बोरा दे के
दूसरा के बेडिया करवनी
पहिले पहिले इस्कुले गईनी।

मास्टर साहेब पुछले
का ह बबुआ तोर नाव?
हम कहनी, झूठन साव
हंस के मास्टर साहेब कहले
बबुआ झूठन!
उपराव केनहो से एक खिल्ली खईनी
पहिले पहिले इस्कुले गईनी।

बीच दुपहरिया टिपिन भईल
सब लईकन के बोरा जमा भईल
ओपर मास्टर साहेब सुतले
सब लईकन के मार दूर भगवले
भागते में हम गिर गईनी
पहिले पहिले इस्कुले गईनी।

टिपिन में नहर में नहईनी
गाछी पर ढेला चलवनी
कमल –सिंघाड़ा काढ़े खातिर
पोखरा में समईनी
पहिले पहिले इस्कुले गई्नी।

टिपिन मास्टर साहेब सतुआ निकलले
ओमें पानी नून मिलवले
तईसे ऊपर से चिरई गंदा कई दहलस
सारा सतुआ जिआन करवलस
मास्टर साहेब भूखे रह गईनी
पहिले पहिले इस्कुले गईनी।

मास्टर साहेब झ से झोंटा
ल से लक्कड़ लिखववलें
थक हार के सब लईकन के
लाइन में खड़ा करवलें
गिनती पहाड़ा सब रटववलें
तब हम इस्कूल के माने बुझनी
पहिले पहिले इस्कुले गईनी।

ठीक चार बजे छुट्टी भईल
तब हमरा जीव में जीव आईल
दऊर के हम मंदिर में गईनी
अब कहियो इसकुले ना आएम
कान पकड़ किरिआ ई खईनी
पहिले पहिले इस्कुले गईनी।
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कवि परिचयः
नाम: विवेक मणि त्रिपाठी
सम्प्रति: हिंदी भाषा विशेषज्ञ,
कुआन्ग्तोंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, कुआन्ग्चौ, चीन
पूर्व में व्याख्याता, गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय, गांधीनगर
एवं मगध विश्वविद्यालय, बोधगया में चीनी भाषा एवं साहित्य
संपर्क सूत्र – 2294414833@qq.com, +86-18666279640

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