फागुन के मौसम - संदीप राज़ आंनद

चढ़ल बाटे जबसे फागुन के मौसम
बहे ला चारों ओर बसंती बयरिया।
सजल बाटे सपना, लगल बाटे आशा
हो अहिए सजनवां, रे अहिए सवारियां।

बहुत दिन बीतल, बहुत रात बीतल
दिल में दबावल, बहुत बात बीतल
बीतल अब जाता जाड़ा के जड़ईयां
झूमि के कहे अब अमवां के मोजरियां
हो अहिए सजनवां, रे अहिए सवारियां।

कहवाँ निक लागे उ कोयल के बोली
देखी पूनम के चनवा लगे हिय गोली
कहे फूल सरसों ई गाछी पतईयां
उ भूसा भुसउला, कहे छानी मड़ईयां
हो अहिए सजनवां, रे अहिए सवारियां।
हो अहिए सजनवां, रे अहिए सवारियां।।
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लेखक परिचय:-
नाम: संदीप राज़ आंनद
संक्षिप्त परिचय-छात्र,स्नातक (हिन्दी साहित्य) इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय
प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)
सम्पर्कसूत्र-7054696346
ग्राम-अहिरौली,पोस्ट-खड्डा
जनपद-कुशीनगर(उत्तरप्रदेश)

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