चुनरी रँगाय दा - हरिराम द्विवेदी

नैना लोभइलैं निहारि हरियरिया
मोरे बलमुआ हो
हरियर चुनरी रँगाय दा
चुनरी पहिरि हम जइबै सिवनवाँ
मोरे बलमुआ हो
आरी आरी गोटा लगवाय दा
हरियर खेतवा हरियरै चुनरिया
मोरे बलमुआ हो
हरियर सपना सजाय दा
धरती पहिरले फसिलिया कै लहँगा
मोरे बलमुआ हो
वइसइँ हम्‍मैं पहिराय दा
धरती भइल सब सुखवा कै रासी
मोरे बलमुआ हो
हमहूँ के धरती बनाया दा
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लेखक परिचय:-

नाम: हरिराम द्विवेदी
जन्म: 12 मार्च 1936
जन्म स्थान: शेरवा, मिर्जापुर, उत्तरप्रदेश
परमुख रचना: अँगनइया, पातरि पीर, जीवनदायिनी गंगा,
साई भजनावली, पानी कहे कहानी, पहचान, नारी, रमता जोगी,
बैन फकीर, हाशिये का दर्द, नदियो गइल दुबराय
सम्मान: साहित्य अकादेमी भाषा सम्मान,
राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार (उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा),
साहित्य भूषण (उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा),
साहित्य सारस्वत सम्मान (हिंदी साहित्य सम्मलेन, प्रयाग) तथा अन्य
अंक - 112 (27 दिसम्बर 2016)

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