
रोवाँ झारेला - हरिराम द्विवेदी
रोवाँ झारेला जब जब चुनाव आवैला तरवा चाटैं धीरे धीरे सुहरावैला हार जीत से कउनो मतलब नाहीं राखै जेतना भी लह जाला ठाट से लहावैला गाँव से...
रोवाँ झारेला जब जब चुनाव आवैला तरवा चाटैं धीरे धीरे सुहरावैला हार जीत से कउनो मतलब नाहीं राखै जेतना भी लह जाला ठाट से लहावैला गाँव से...
नन्हीं–सी गुड़िया के गोदिया उठवलैं लोरिया सुनाय नैन निदिया बलवलैं अँगले में झरैला दुलार हो बाबा मोर आवैं बखरिया॥ नेहिया की छँहियाँ मे...
नैना लोभइलैं निहारि हरियरिया मोरे बलमुआ हो हरियर चुनरी रँगाय दा चुनरी पहिरि हम जइबै सिवनवाँ मोरे बलमुआ हो आरी आरी गोटा लगवाय दा हरियर खेतव...
कुछ ना कहि के रऊआँ सभ के सोझा हरिराम द्विवेदी जी के एगो काब्य रचना प्रकासित करत बानी आशा बा कि पसन परी। --------------------------------...