जरूर - राजीव उपाध्याय

रासता जे चलब केहू ना केहू भेंटाई जरूर
अउरी भेंटाई जे तोहरा में घर बनाई जरूर।

ऊ फूली फूलाई अघाई तब जाके कहियो
मन के कहंतरी अदही फफनाई जरूर।

कसर जे बाकी कुछ रहि जाई थोरिको
आई के बिलरिया बोरसी उलाटी जरूर।

सभ फूल फूलेल लागी गंधाए अफनाए
कि अँखिया से उतार ऊ गिराई जरूर।
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लेखक परिचय:-

नाम: राजीव उपाध्याय
पता: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश
लेखन: साहित्य (कविता व कहानी) एवं अर्थशास्त्र
संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in
दूरभाष संख्या: 7503628659
ब्लाग: http://www.swayamshunya.in/
फेसबुक: https://www.facebook.com/rajeevpens
अंक - 108 (29 नवम्बर 2016)

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