कहिया ले अइब तू संइया हमार
मनवा ना लागे इहाँ डहके हजार।
कहिया ले अइब तू संइया हमार॥
घर के चुहानी में केतना दिन काटीं
आँगन रोवेला, तिकवे ला दुवार।
कहिया ले अइब तू संइया हमार॥
बइठ दलानी हम बात कई सोचीं
होई कइसन देस-परदेस के बयार।
कहिया ले अइब तू संइया हमार॥
रात देखि-देखि बीते कुरता तोहार
अटकल ओही खुँटिया जियरा हमार।
कहिया ले अइब तू संइया हमार॥
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मनवा ना लागे इहाँ डहके हजार।
कहिया ले अइब तू संइया हमार॥
घर के चुहानी में केतना दिन काटीं
आँगन रोवेला, तिकवे ला दुवार।
कहिया ले अइब तू संइया हमार॥
बइठ दलानी हम बात कई सोचीं
होई कइसन देस-परदेस के बयार।
कहिया ले अइब तू संइया हमार॥
रात देखि-देखि बीते कुरता तोहार
अटकल ओही खुँटिया जियरा हमार।
कहिया ले अइब तू संइया हमार॥
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लेखक परिचय:-
नाम: राजीव उपाध्याय
पता: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश
लेखन: साहित्य (कविता व कहानी) एवं अर्थशास्त्र
संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in
दूरभाष संख्या: 7503628659
ब्लाग: http://www.swayamshunya.in/
फेसबुक: https://www.facebook.com/rajeevpens
अंक - 103 (25 अक्तूबर 2016) पता: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश
लेखन: साहित्य (कविता व कहानी) एवं अर्थशास्त्र
संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in
दूरभाष संख्या: 7503628659
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