ओठ पर अब कहाँ दुआ बाटे,
शब्द के दर्द के धुआँ बाटे।
डेग कहँवा धरीं, बड़ा मुश्किल,
हर तरफ बस कुँआ-कुँआ बाटे।
भीड़ में बात के वजन का बा,
शोर खाली हुआँ-हुआँ बाटे।
एक पनघट हजार बा गगरी,
हमरा लोटा के ना ठुआ बाटे।
कबहूँ डगरा में, सूप में कबहूँ,
जिनगी उरिया रहल भुआ बाटे।
जिनगी पेवन भरल मइल लुगरी,
आस तागा, करम सुआ बाटे।
कहँवा, केकरा भरोस पर जाईं,
हर पड़ाव पर जमल जुआ बाटे।
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शब्द के दर्द के धुआँ बाटे।
डेग कहँवा धरीं, बड़ा मुश्किल,
हर तरफ बस कुँआ-कुँआ बाटे।
भीड़ में बात के वजन का बा,
शोर खाली हुआँ-हुआँ बाटे।
एक पनघट हजार बा गगरी,
हमरा लोटा के ना ठुआ बाटे।
कबहूँ डगरा में, सूप में कबहूँ,
जिनगी उरिया रहल भुआ बाटे।
जिनगी पेवन भरल मइल लुगरी,
आस तागा, करम सुआ बाटे।
कहँवा, केकरा भरोस पर जाईं,
हर पड़ाव पर जमल जुआ बाटे।
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लेखक परिचय:-
नाम: बच्चू पाण्डेय
जनम दिन: 3 अगस्त 1937
गाँव - गुदरी बाजार,
जिला-छपरा, बिहार
अंक - 103 (25 अक्तूबर 2016) जनम दिन: 3 अगस्त 1937
गाँव - गुदरी बाजार,
जिला-छपरा, बिहार
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