झूमर - भोलानाथ गहमरी


डोले चइत-बइसखवा पवन,
हंसि मारे अगिनिया के बान…..

धरती के जैसे ढरकलि उमिरिया,
तार-तार हो गइली धानी चुनरिया,
कुम्हला गइल फूलगेनवा बदन…..

दिनवा त दिनवा विकल करे रतिया,
चांदनी के छन-छन जस लागे छातिया,
कांपेला भोरहीं सुरुज से गगन…….

तलवा-तलैया के जियरा लुटाइल,
केकरो विरह नदिया दुबराइल,
पंछी पियासा के तड़पेला मन…
------------------------------

लेखक परिचय:-

नाम: भोलानाथ गहमरी
जनम: 19 दिसंबर 1923
मरन: 2000
जनम असथान: गहमर, गाजीपुर, उत्तरप्रदेश
परमुख रचना: बयार पुरवइया, अँजुरी भर मोती और लोक रागिनी

अंक - 87 (5 जुलाई 2016)

2 टिप्‍पणियां:

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.