
झूमर - भोलानाथ गहमरी
डोले चइत-बइसखवा पवन, हंसि मारे अगिनिया के बान….. धरती के जैसे ढरकलि उमिरिया, तार-तार हो गइली धानी चुनरिया, कुम्हला गइल फूलगेनवा बदन…...
डोले चइत-बइसखवा पवन, हंसि मारे अगिनिया के बान….. धरती के जैसे ढरकलि उमिरिया, तार-तार हो गइली धानी चुनरिया, कुम्हला गइल फूलगेनवा बदन…...