मन तू काहे ना करे रजपूती - परमहंस शिवनारायण स्वामी

मन तू काहे ना करे रजपूती।
असहीं काल घेरि मारत ह
जस पिजरा के तूती।

पाँच पचीस तीनों दल ठाड़े
इन संग सैन बहुती।

रंगमहल पर अनहद बाजे
काहें गइलऽ तू सूती।

शिवनारायन चढ़ मैदाने
मोह भरम गइल छूटी।
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लेखक परिचय:-

                                                   नाम: परमहंस शिवनारायण स्वामी 
जनम - 1750
जनम स्थान - चन्द्रवार, बलिया, उत्तर प्रदेश

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