कामे नाही आई केवनो अकिल।
पूछबऽ तऽ सगरी हो जाई हील॥
रहिआ-रहिआ घूमि जेवन बटोरलऽ
फाँका परी औरी हो जाई नील॥
हवऽ बेगार तू रहबऽ बेगार
उड़ऽ चाहें चाहें जाड़ऽ कील॥
जेवन ठेकाना घूमि खोजत बाड़ऽ
उहे एक दिन तोहके लीही लील॥
बिकाई सगरी देहिआँ मास तोहार
माटी पानी हावा में जाई मिल॥
पूछबऽ तऽ सगरी हो जाई हील॥
रहिआ-रहिआ घूमि जेवन बटोरलऽ
फाँका परी औरी हो जाई नील॥
हवऽ बेगार तू रहबऽ बेगार
उड़ऽ चाहें चाहें जाड़ऽ कील॥
जेवन ठेकाना घूमि खोजत बाड़ऽ
उहे एक दिन तोहके लीही लील॥
बिकाई सगरी देहिआँ मास तोहार
माटी पानी हावा में जाई मिल॥
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लेखक परिचय:-
पता: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश
लेखन: साहित्य (कविता व कहानी) एवं अर्थशास्त्र
दूरभाष संख्या: 7503628659
ब्लाग: http://www.swayamshunya.in/
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