पापी सेनुरवा - मृत्युंजय अश्रुज

गांव धरमपुर में एक खेतिहर मजदूर रहन नाम रहे सुखलाल भले जिनगी में सुख ना जनले होखें कि का आ केसन होला। बिना मातारी के एकलौती बेटी के अबतक पोस लेलें बाकिर अब शरीर जबाब दे देले बा। लाठी का सहारे कैसहू डगमगात चलेलन। हाथ भी कांपेला। अबतक उ पोसलें बेटी के अब बेटी उनका के पोसत बीआ।गरीब का घरे आउर कुछ के बढन्ती होखे भा ना; गरीब के बेटी का देहिया पर रूप जवानी के बाढ धाधा के आवेला। 
बिना काम केले पापी पेट कैसे भरी आ पापी जमाना गरीब के बेटी के रूप जवानी के लील जाये में कवनो बेवत उठा ना धरे काहेकि गरीब से डर कैसन। उ करीहें का। कहीं खेत खलिहान में काम कैल आफत होते भी करे के पडता।
ओ पर से पडोस में चलत दारू के नजायज अड्डा पर जुटे वाला शराबी जीअल मुश्किल कैले रहलेंस। गरीब के पास इज्जत छोड कवनो आउर धन ना होखे। इज्जत बचावे के फूलवा (सुखलाल के बेटी) के शादी केल छोडके दोसर उपाय सुखलाल लगे ना रहे। लेकिन वो बाप के बेटी के हाथ के थामो जेकरा पास दहेज के के कहो दु जून के रोटी के भी लाले रहे। उहे भेल जे सब गरीब के बेटी के साथे होला। गाय कसाई के खूंटा बंधा गैली। एक शराबी जुआरी साथे फूलवा के जिनगी के डोर बंधा गैल।
कुछ दिन फूलवा के ठीक बीतल। जबतक भिखरिया (फूलवा के मरद) का फूलवा में रस खुशबूमिलल कदर केलेस। अब ओकरा दारू आ जुआ ला पैसा घटे लागल त फूलवा के रंडी बना कमाये के चहलेस। ये बीच फूलवा एक बेटी के मां बन गैल। बेटी के नाम चम्पा रखलेस। फूलवा मार खैलेस गारी सुनलेस केतना दिन भूखे छटपटायेल लेकिन भिखरिया के बात ना मनलेह। तब भिखरिया चम्पा के जान ले लेवे के धमका के फूलवा के देह बेचे पर मजबूर कर देलेस। फूलवा अपना बेटी ला जहर पी गैल। बेटी के अपना पाप के परछाई से अनजान रख पढावे लिखावे लागल।
समय के पंक्षी उडत गैल आ फूलवा का तन से रूप शबाब भी उडत गैल। अब भिखरिया का शराब आ जुआ के राह में रोडा अटके लागल। शराब जुआ आदमी के पतन के नीचला स्तर तक पहुंचा देला। भिखरिया के अब नजर चम्पा के जवान होत तन पर बा। हुश्न के सौदागर सब फूलवा का जगे चम्पा के मांग करे लागल।भिखरिया रोज रोज के कीना बेची से अच्छा चम्पा के सौदा एक शेख से कर लेहलेस आ एकदिन चम्पा के सर्कस देखावे का बहाने साथे ले जाये लागल। फूलवा का भिखरिया का नीयत पर शक भैल त खुद भी चले के जोर लगा देलस। भिखरिया बहाना करे लागल। फूलवा चम्पा केमना कर देलस जाये से। भिखरिया मार पीट शुरू कर देलस माई बेटी के। दुनो के ढकेल देलस। दुनो बेहोश हो गैली सs। भिखरिया बेहोश चम्पा के कंधा पर लाद चल देहलेस। फूलवा हडबडा के आंख खोललेस त बाप बेटी दुनो गायब। फूलवा चंडी बन गैल। चाकु लेके दौड चलल कहते.."हमरा के त बरबाद करीये देले अपना बेटी के बरबाद ना करे देब। जाने कहां से शक्ति आइल फूलवा में दौड के पकड लेलस भिखरिया के। ओकरा कंधा से बेटी के खींच के भिखरिया पर टूट पडल। जबतक उ समझे साक्षात चंडी बनल फूलवा चाकु से ओकर देह गोदत चल गैल। ओकर प्राण पखेरू उडला का बाद तक गोदते रह गैल तबतक जबतक चम्पा होश में आके मतारी के गला में बांह डाल रोये ना लागल। फूलवा भी बेटी के करेजा में साटरोये लागल अब तक के रूकल दर्द बांध तोड बह चलल।
येही बीच कोई सजन के बोलवला पर पुलिस फूलवा के पकड के ले गैल। आज फूलवा जेल में आ चम्पा महिला मुक्ति केन्द्र में।
शराब पूरा परिवार के खा नू गैल ।
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