तोर हीरा हिराइल बा किंचड़े में।। टेक।।
कोई ढूँढे पूरब कोई पच्छिम,
सुर नर अरु पीर औलिया,
दास कबीर ये हीरा को परखै,
कोई ढूँढे पूरब कोई पच्छिम,
कोई ढूँढ़े पानी पथरे में।। 1।।
सुर नर अरु पीर औलिया,
सब भूलल बाड़ै नखरे में।। 2।।
दास कबीर ये हीरा को परखै,
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