पाण्डेय कपिल जी भोजपुरी एगो बहुते बढ़िया कवि हवीं। उँहा के जिनगी के तरह-तरह के अनुभवन के अपना ढंग से देख के सुभाव बा औरी ओही के सबका तक पहुंचावे के परियास कईले बानी। उँहा के कबिता रउओं सब पढ़ीं।
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चुप रहल अब त कठिन बा, कह दिहल बहुते कठिन---------------------------------------------------
अइसन कुछ बात बा, बाटे सहल बहुते कठिन॥
एह घुटन में के रही, कइसे रही ए यार अब
एह फिजाँ में हो गइल साँसो लिहल बहुते कठिन॥
लाज के बा लाज लागत आज के माहौल में
बेहयाई के लहर में अब रहल बहुते कठिन॥
बात रिश्तन के करीं मत, दौर बा अलगाव के
मन के मन से टूट के फिर से जुड़ल बहुते कठिन॥
हो गइल दुश्मन जमाना, रीति आड़े आ गइल
रूढ़ि के दीवार के बाटे ढहल बहुते कठिन॥
साँच में त आँच ना लागे, सुनल बाटे, मगर
झूठ के एह दौर में सच के लहल बहुते कठिन॥
ई प्रलय ह, बाढ़ ना ह ज्ञान के विज्ञान के
एह प्रलय में नूह के, मनु के पहल बहुते कठिन॥
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अंक - 9 (11 जनवरी 2015)
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