सब लोग देहात से जात बाड़े शहर

सब लोग देहात से जात बाड़े शहर।
हर केहू पकड़ले बाऽ एगही डहर॥

गँउआँ में नाही केहू रहे चाहत
सब केहू बतिया एगही कहत।
एही से गाँवन में भइल बाटे कहर
सब लोग देहात से जात बाड़े शहर॥

सब केहू कहेला कि लइका बाटे पढ़त
अपनि मन से बतिया सब बावे गढ़त।
रहल नइखे चाहत गाँव में एको पहर
सब लोग देहात से जात बाड़े शहर॥

गाँवन में नईखे एगहू सुघर विद्यालय
नाही बाटे कहीं सरकारी चिकित्सालय।
एहि से लागल बा देखा देखी के लहर
सब लोग देहात से जात बाड़े शहर॥

--------------प्रभुनाथ उपाध्याय
अंक - 31 (9 जून 2015)

-----------------------------------------------------------------------------
<<< पिछिला                                                                                                                          अगिला >>>

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

मैना: भोजपुरी साहित्य क उड़ान (Maina Bhojpuri Magazine) Designed by Templateism.com Copyright © 2014

मैना: भोजपुरी लोकसाहित्य Copyright © 2014. Bim के थीम चित्र. Blogger द्वारा संचालित.