इहाँ हर केहू हर बात के छुपावत बाटे - संदीप राज़ आनन्द

इहाँ हर केहू, हर बात के, छुपावत बाटे
कहाँ खोलिके केहू कुछ बतावत बाटे।

इहवाँ केहू ना, प्रीत के मरम समझत बा
सभे हंसिके इहवाँ उधुवाँ उठावत बाटे।

ई देहिं एक दिन सबकर माटी हो जाई
सभे जानत बा तबो रोज सजावत बाटे।

जिनिगी तऽ एगो खेल हऽ, सरकस हऽ
उपर उ बा केहू जे सबके नचावत बाटे।

'आनन्द' के दिल आज भी चोटाइल बा
तबो देखऽ,हंसिं के ग़ज़ल सुनावत बाटे।
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संक्षिप्त परिचय:-
नाम - संदीप राज़ आनन्द
सम्प्रति- छात्र,इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज
मूल पता - कुशीनगर उत्तरप्रदेश

संपर्क सूत्र- 7054696346

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