माता सीता के परित्याग - डा. उमेश जी ओझा

मोरे हित हरि सम नहि कोऊ।
एहि अवसर सहाय सोई होऊ।।

आज पूरा देश राम नाम से गुंजयमान बा। चारो तरफ राम नाम के झंडा लहरत बा। देखला से साफ बुझात बा की भगवान राम आजूये वनवास से आइल बानी।

जी राम जी अयोध्या में रहि के भी कैदी के रूप में रहनी। आज उन्हा के आजादी मिल गइल। अपने सभे बढ़िया से जानत बानी की राम के बिना रामायण अधूरा बा , सीता के बिना प्रभु राम। जब अयोध्या नगरी प्रभु खातिर पराया बन गइल रहे तब माता सीता राम की परछाई बन गईल रही।

अपने सभे के त मालूम ही होयी की प्रभु राम जब वनवास से लौटनी त अयोध्या में सीता माता के पवित्रता प सवाल उठे लागल। कुलटा के लांछन भी लागे लागल ।लोक कटाक्ष सुनत सुनत प्रभु श्रीराम जी माता सीता के जंगल में छोड़े के आदेश दे दिहानी। आपन पिता तुल्य भईया के आदेश पा के लक्ष्मण जी माता सीता के जंगल में छोड़ अईनी।

ओकरा बाद माता सीता के आपन पति प्रभु श्री राम से दूर जंगल में रहे के पडल।

का अपने सभे के मालूम बा की ई सभ एगो सुगा (तोता) के श्राप के वजह से भईल। वनवास से लौटला के बाद एगो धोबी के कहला प माता सीता के रामसे अलग रहे के पड़ल रहे।

रामायण में कहल गईल बा की माता सीता जब छोट रहली, तब एक दिन आपन सखियन के साथ बगीचा में खेलत रही । तबही उनक नजर एगो सुगा के जोड़ी प पड़ गईल।

देखली की सुगा़ के जोड़ी आपस में कुछ बात करत बाड़े । येह प माता सीता ऊ लोग के लगे जाके चुपके से ऊ लोगन के बात सुने लगली। सुग़ा के जोड़ी में सुगा आपन सुगनी से कहत रहे की जानत बाडू प्रिये भविष्य में राम नाम के एगो प्रतापी राजा होईहन। जिनकार विवाह खूब सुंदर राजकुमारी सीता से होई।

लुका के सुनत माता सीता ऊ लोगन से पुछली कि ई सभ बात तू लोगन के बतावल ह। येह प सुगा कहले की ऊ लोग महर्षि वाल्मीकि के मुंह से ई सभ बात सुनले बा। महर्षि वाल्मीकि आपन आश्रम में शिष्यन के ई सभ बात बतावात रही। त लोग वोहिजे पेड़ प बईठल रहे लोग त सुनले बा।

तब माता सीता ऊ सुग़ा लोग से कहनी की जवन राजकुमारी के बात करत बा लोग, ऊ राजकुमारी उहे हई।ई सभ बात सुनिके सुगा लोग घबरा गईल। सुगा कहले कि हमनी के उड़ के कहीं दूर जात बानी जा। यहीजा ना रहब जा और ना आईब जा। येह प माता सीता ऊ लोग के रोक दिहली कहली ऊ उलोग के अपना लगे रखी हे। येह प सुगा कहले कि ऊ लोग आजाद पंछी बाड़न। कवानो पिंजरा में बंद होके ना रह पाईब। माता सीता कहनी कि ऊ अवरू बात सुनल चाहत बानी। येह से ऊ ना जाए दिहे। सुगा के जोड़ी खूब विनती कईलस बाकी माता सीता टस से मस ना भईली। बाद में माता सीता सुगा से कहली कि ठीक बा उनका के छोड़त बाड़ी। बाकी सुगनी के त अपना पास रखिहे।

सुगा कहले की उनकर पत्नी सुगनि गर्भवती बाड़ी , अईसन हालत में ऊ लोगन के अलग मत करि दूनो के साथे रहे दिहि। बाकी माता सीता ऊ लोग के एको बात ना सुनली। सुगा के छोड़ दिहली, बाकी सुगनी के आपन महल में बंदी बना लिहली।

सुगा, आपन सुगनी के वियोग सह ना सकले। मरते मरते सुगा माता सीता के श्राप दे दिहले की जईसे आज ऊ आपन जीवनसाथी के वियोग सह रहल बाड़े, ओसही उहो एक दिन आपन पति के वियोग सहिए। ओकरा कुछ समय बाद सुगा आपन प्राण त्याग दिहले।

माता सीता के जब पता चलल त उनका भी बहुत दुख भईल । मगर अब बहुत देर हो चुकल रहे। कहल जाला की यही श्राप के कारण माता सीता के आपन पति प्रभु श्रीराम से दूर जाके महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहे के पडल।

दरअसल, प्रभु श्रीराम रावण वध कके 14 वर्ष के वनवास खत्म कइला के बाद माता सीता आ भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटनी। ओकरा बाद अयोध्या के कुछ लोग सीता के पवित्रता पर सवाल उठावे लागल।

एगो धोबी भरल सभा में माता सीता के निंदा कइलस। ओकरा बाद श्रीराम प्रजा के विचार ध्यान में राखत आपन पत्नी सीता के महल से बाहर निकल के जंगल में रहे के आदेश दे दिहानी। ओह समय माता सीता गर्भवती रहनी। ऊ वाल्मीकि जी के आश्रम में ही आपन पुत्रन लव और कुश के जन्म दिहली। लोग कहेला कि जवन धोबी के कहला प श्रीराम के आपन पत्नी के छोड़े के पड़ल , ऊहे पिछले जन्म में सुगा रहे जे माता सीता के श्राप देले रहे।
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लेखक परिचय:- नाम: डाo उमेशजी ओझा
पत्रकारिता वर्ष १९९० से औरी झारखण्ड सरकार में कार्यरत
कईगो पत्रिकन में कहानी औरी लेख छपल बा
संपर्क:-
हो.न.-३९ डिमना बस्ती
डिमना रोड मानगो
पूर्वी सिंघ्भुम जमशेदपुर, झारखण्ड-८३१०१८
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मोबाइल नं:- 943134743


मैना: वर्ष - 10 अंक - 121 (जनवरी 2024)

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