अवधपुरी अईलन अवधऽ बिहारी हो,
बलिहारी जाईं ना।
चलऽ आरती उतारीं हो,
बलिहारी जाईं ना।।
माई कोसिला जी के हियरा जुड़ाईल,
भरतऽ भुआली जी के मनसा पूराईल,
चलीके खुशीआ मनाई हो,
बलिहारी जाईं ना।
चलऽ आरती उतारीं हो,
बलिहारी जाईं ना।।
राम जी पहीनीहें आजु अयोध्या के ताज,
चंवर डोलाई लखन जी करीहन नाज,
रानी बनिहें जनकदुलारी हो,
बलिहारी जाईं ना।
चलीके नज़र उतारी हो,
बलिहारी जाईं ना।।
अयोध्या में जुटल सब वीर बलवान,
अंगदऽ बिभीसन संगे श्री हनुमान,
पईहन आसनऽ सजाईं हो,
बलिहारी जाईं ना।
रहिया फूलवा बिछाईं हो,
बलिहारी जाईं ना।।
सरजूग के पानी आजु मारऽता उछाह,
नगर निवासी के नाहीं हरखा के थाह,
“संजय” कर जोरी करिहें पूजाईं हो,
बलिहारी जाईं ना।
मिली जुली दीयरी जराईं हो,
बलिहारी जाईं ना।।
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मैना: वर्ष - 10 अंक - 121 (जनवरी 2024)
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