नाचे निरखि-निरखि दरपनवाँ में - हरिराम द्विवेदी

पवना बेनियाँ डोलावे, बदरा रस बरसावै
गावै झूम झूम मनवाँ सिवनवाँ में
नाचै निरखि-निरखि दरपरनवों में।

भिनसहरे जैतसार गीत के बोल करेज करोवै
जइसे केहू पड़ठ के भित्तर लगे हियरवा टोवै
माटी सगुन जगावे, भरि नेह दुलरावै
पावे सुखवा जोगवले परनवाँ में
नाचे निरखि-निरखि दरपनवाँ में।

बिहने भुइयाँ उतरि किरिनियाँ अँचरा लगे पसारै
तनै उमिर के ताना-बाना जिनगानी पुचकारै
सगरो पसरे अँजोरिया, कत्तों रहे न अन्हरिया
रेंगे लागेला असस्वा अँगनवाँ में
नाचे निरखि-निरखि दरपनवाँ में।

मचियाँ बइठे आजी लेके छोड़ी चले कमोरी
देखतै बने दुलार धरै जब लैनू काढ़ि गदोरी
जियआ अस के लोभाला, किछु कहलो न जाला
सुख सरगे क उतरे भवनवाँ में
नाचे निरखि-निरखि दरपनवों में।

गहबर पियरी पहिर खेत में खड़ी फसिल गदराइल
सबही के मन टटकी टटकी साध लगे अँखुआइल
कइसन सपना सजोव, केतनी मनियाँ पिरोवै
झाँकि झाँकि रहें अपने अयनवों में
नाचे निरखि-निरखि दरपनवों में।

पाखे के खोता में बइठ गावै सोन चिरड्या
घुटुरुन दुरकत देखिबकइयाँ भरि जाले अँगनड्या
संझा कहनी कढ़ावै, रतिया लोरी सुनावै
ममता निदिया बलावै नयनवाँ में
नाचे निरखि-निरखि दरपनवाँ में।
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लेखक परिचय:-
जन्म: 12 मार्च 1936
जन्म स्थान: शेरवा, मिर्जापुर, उत्तरप्रदेश
परमुख रचना: अँगनइया, पातरि पीर, जीवनदायिनी गंगा,
साई भजनावली, पानी कहे कहानी, पहचान, नारी, रमता जोगी,
बैन फकीर, हाशिये का दर्द, नदियो गइल दुबराय
सम्मान: साहित्य अकादेमी भाषा सम्मान,
राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार (उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा),
साहित्य भूषण (उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा),
साहित्य सारस्वत सम्मान (हिंदी साहित्य सम्मलेन, प्रयाग) तथा अन्य

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