बहुत काम बा अइसन
जेवर लागे ना जरूरी
देखला पऽ दूर से कब्बो
बाकिर कइल बहुत जरूरी;
जइसे झारलऽ
पुरान कपड़ा जाड़ा में
भा पपनी पर चढ़ल धूर!
जेवर चीझ ना लउके
होला उहो बड़ा जरूरी;
जइसे इनार के जगत के
मरम्मत बहुत जरूरी!
जरूरी बा मन के देवाल
पऽ चढ़ल पपरी उतरे
अउरी दिहल जाओ तूर!
तऽ आज दिन
केवना चीझ के बा?
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लेखक परिचय:-
नाम: राजीव उपाध्याय
पता: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश
लेखन: साहित्य (कविता व कहानी) एवं अर्थशास्त्र
संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in
दूरभाष संख्या: 9650214326
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