आरोही जी रचनाकर्म पऽ लोगन के राय

भोजपुरी कथाकोश एगो बड़ा महत्वपूर्ण सन्दर्भ बा। एकरा से भविष्य का कथा शिल्प पर शोध करेवालन के बड़ा सहायता मिली। बड़ा आश्चर्य होता चौधरी जी का भोजपुरी सेवा शक्ति पर जे अकेला अपना दम पर बिना कवनो सरकारी भा गैर सरकारी सहायता के एतना श्रमसाध्य काम कइ गइली। उहाँ के ई सेवा स्तुति करे जोग बा।
श्री आनन्द सन्धिदूत
मिर्जापुर।
चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह के काव्य संसार पऽ अभीमत
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'माटी के महक 'गीत संग्रह पढ़ के हमार जियरा जुड़ा गइल।
श्री अंगद जी
सीवान
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'माटी करे पुकार' गीत संग्रह चौधरी जी के लिखल गीतन के संग्रह ह जेकरा में भोजपुरिए माटी पऽ उगल भावन के कविता के बिषय नइखे बनावल गइल,बलुक एह में सउँसे देस के झांकी मिल रहल बा।
रामनाथ पाठक' प्रणयी'
आरा
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'कुँवर गाथा' गागर में सागर बाटे। 'सहस्त्रदल' जइसन व्याकरण सम्मत रचना भाषा के रीढ़ होखेले। 'अजस्रधारा' जवना रचना के शीर्षक होखे ओकर प्रवाह के भला के गीन सकेला।
देवेन्द्र प्रसाद
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'बरवै ब्रम्ह रामायण' सुतल भोजपुरी रचनाकारन के जगावे के काम कर रहल बा। ई गागर में सागर बा। 'देखन को छोटा लगे, बाकी भाव करे गम्भीर'।
कुँवर गाथा - कुँवर सिंह प रचना में काव्य शास्त्रीय निखार आ गइल बा। गुन आ अलंकार मोह लेत बाड़न सऽ।
महेन्द्र सिंह "प्रभाकर "
करनौल,चाँदी, भोजपुर।
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"कुँवर गाथा" लाजबाब बा। लगभग सभ प्रमुख छंदन के प्रयोग कर के एकरा के रोचको से रोचक बना देले बानी।
"आरोही हजारा" तऽ हमरा खातिर, जइसे, गीता आ रमायण होखे। हम अपना जीवन में अब तक अइसन दोहन के संग्रह नइखीं देखले-पढ़ले।
चंद्रकांत भट्ट
इलाहाबाद
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रउरा गीत - गजलन के भाव - गांभीर्य, भाव - भंगिमा - सरसता प्रवाह से तन - मन तरंगित होखे लागेला।
श्री राम सिंह 'उदय'
बांसडीह, बलिया।
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भोजपुरी के ई आठवाँ गजल - संग्रह नया दिशा, नयि बोध पाठकन के दी।
महेश्वराचार्य
आरा।
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"नया एगो सूरज" के आधुनिक भाव - बोध से भरल गजलन में सामाजिक विसंगतियन के बड़ा विशद चित्र बा आ व्यवस्था के बदले खातिर छटपटाहट आ उदघोष बा।
"गीत जिनगी के" में कवि के तेवर बड़ा तीख बा -सोझे दिमाग झनझना देता। गजलन में श्रम-श्रमिक का पसीना के महातम बा, आस्था के। ज्योति बा आ बा फटेहाली मेटावे के ललकार।
जगन्नाथ
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"आरोही-हजारा" दैखी - पढ़ी के दंग बानी।कतने दोहा त कबीर - रहीम के दोहा अस बाड़ेस।कटु सत्य के उजागर करत बाड़ेस।
डा. रसिक बिहारी ओझा 'नर्भीक'
निमेज,बक्सर।
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अतने कहब कि दोहा के दिसाई 'सतसई' के जवन परंपरागत प्रचलन आ रूढ़ि रहे ओकरा के तोड़ी के रावा एगो नया कीर्तिमान खड़ा कइले बानी। केहू दोहा - शतक लिखले बा, केहू 'सतसई' तक पहुचल बा, रउवा तऽ हजार दोहा लिखी के एगो नया रिकार्ड कायम कइली हां। ई पुस्तक भोजपुरी साहित्य के एगो अपूर्व उपलब्धि होई।
शिवपूजन लाल ' विद्यार्थी '
आरा।
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आरोही हजारा,सहस्रदल अउर अजस्रधारा क्रमशः तीनों संकलन बहुत उच्च कोटि के रचना बाड़ीस. खास करके भोजपुरी में बरवै छंद आ सोरठा लिखल आ ऊहो हजार - हजार गो। - बहुत बड़ बात बा।
अंकुश्री
राँची।
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मैना: वर्ष - 7 अंक - 120 (अक्टूबर - दिसम्बर 2020)

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