पागल - डॉ. रजनी रंजन

चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह के कुल 18 कहानीन के संग्रह 'बेगुनाह' भोजपुरी साहित्य के एगो बड़हन आ बिशिष्ट रचना के नाम बा। बेगुनाह के 'पागल' कहानी में भारत के विभाजन के समय के उस्मान के कहानी बा। उस्मान के देश के प्रति भक्ति आ झुकाव देखि के लोग ओके देशद्रोही करार कर देहलस। जवना घड़ी भारत से लोग पाकिस्तान गइले उस्मानो भी गइले बाकिर उनका पाकिस्तान ठीक ना लागल। एही से उ लौट अइले। इहाँ अइला पर उनका जब महजिद (मस्जिद में कुछ लोग पर देश के विरोधी काम करे के शंका भइल आ ओकरा बारे में जब समाज में बात उठवलन तऽ लोग उनका के पागल कह के सचहु पागल करार करवा देहलस। विभाजन के दरद से उपजल ई कहानी खाली कहानी नइखे बलुक अपनी समय के सच्चाई बतावत बे। ओह घड़ी के स्थिति आज के समय में भी प्रासंगिक बा। आजो लोग भारत आ पाकिस्तान के मनभेद के रुपवा ओइसही देखऽता । 

आरोही जी रचनाकर्म समाज के बुराई, अपराध, भ्रष्टाचार आदि के प्रति सचेत कर वाला बा। एह से उहाँ के लिखल कहानी के आज पाठक सभन के पढे के जरूरत बा। ताकि देश खातिर द्रोह पैदा करे वाला लोग के चिन्हल जाव। आ फेर केहु उस्मान ना बने, फेर केहु अपनेही देश में अकेले ना पड़ि जाए। अकेला व्यक्ति के लोग जीए आ जीते ना देवेला। ई कहानी के कथा साधारण होके भी असाधारण हो गइल बा। आरोही जी के ई कहानी सचमुच समाजिकता से जोर के देश प्रेम पर रचल गइल बा। 
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डॉ. रजनी रंजन
मैना: वर्ष - 7 अंक - 120 (अक्टूबर - दिसम्बर 2020)

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